पूर्वाङ्ग में जैजैवन्ती का करुण व विनयपूर्ण भक्तिभाव परिलक्षित होता है, जबकि उत्तराङ्ग में मियाँ की मल्हार, वर्षा के तरल भावों के साथ समर्पित, पुकारयुक्त व आनन्द से परिपूर्ण भावों का सृजन करने में सक्षम होता है।
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दद्दा ने जिस “ प्रपत्ति ” का चिंतन किया है, जिया ने उसे झेला है, अगर दद्दा ने उसका अनुभव किया है जो जिया के माध्यम से, ऐसा मैं विनयपूर्ण, पर निःसंकोच कह सकती हूँ.
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राग भूपाली का आत्मनिवेदन, मेघ मल्हार का नैसर्गिक गाम्भीर्य, राग दुर्गा में व्याप्त भक्तिभाव की विनयपूर्ण अभिव्यक्ति और राग धानी का वैचित्र्य भाव, इन सभी के समागम से राग मालकौंस का गम्भीर चिन्तनशील स्वरूप कायम होता है।
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राजन्! यह सत्य है कि मुझे कोई मार नहीं सकता, लेकिन मैं तुम्हारे विनयपूर्ण व्यवहार से आज इतना प्रसन्न हूं कि मैं प्रतिदिन प्रातः उठकर सर्वप्रथम तुम्हारी ही विजय की मंगल कामना करूंगा जिससे निश्चय ही तुम्हारी विजय होगी।
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मच्छराधिराज डेंगू का विनयपूर्ण निवेदन सुन के महर्षि मस्तराम ने शिष्यों को आदेश दिया कि वे कर्पूर, इत्र, एलादिचूर्ण आदि से परिपूर्ण तेल से उनके टट्टों की मालिश करें, और कहना प्रारंभ किया-फ़ंडूजोन के निर्माण को तीन कल्प बीत चुके थे.
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पूर्व इलैक्ट्रिकल इंजीनियर (हालांकि अभी किन्हीं नीरिजा ने उनके इंजीनियर होने पर सवालिया निशान लगा दिया है) और अब हिंदी के पी. एच. डी. मसिजीवी तो लगभग रवि जी द्वारा की गई इस विनयपूर्ण मजम्मत से बुरी तरह असंतुष्ट दिखे.
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क् या आप हम लोगों के यहां चल सकने का कष् ट करेंगे? ' उसका शांत संयत मुख और विनयपूर्ण वार्तालाप मुझे उकसा रहा था कि मैं उससे अभी कुछ और बातें करूं मगर ओस गिरने लगी थी और वह सिर्फ एक सूती स् कर्ट पहने हुए थी।
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' वार्ता' में वल्लभाचार्य और सूरदास के प्रथम भेंट का जो रोचक वर्णन दिया गया है, उससे व्यंजित होता है कि सूरदास उस समय तक कृष्ण की आनन्दमय ब्रजलीला से परिचित नहीं थे और वे वैराग्य भावना से प्रेरित होकर पतितपावन हरि की दैन्यपूर्ण दास्यभाव की भक्ति में अनुरक्त थे और इसी भाव के विनयपूर्ण पद रच कर गाते थे।
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' वार्ता ' में वल्लभाचार्य और सूरदास के प्रथम भेंट का जो रोचक वर्णन दिया गया है, उससे व्यंजित होता है कि सूरदास उस समय तक कृष्ण की आनन्दमय ब्रजलीला से परिचित नहीं थे और वे वैराग्य भावना से प्रेरित होकर पतितपावन हरि की दैन्यपूर्ण दास्यभाव की भक्ति में अनुरक्त थे और इसी भाव के विनयपूर्ण पद रच कर गाते थे।
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अभी लगे हाथ बताता चलूं कि मुझे चम्बल के कई गॉंवो का एक साथ दौरा करने को मिला, मेरे बचपन के कुछ ग्रामीण मित्रों ने मुझसे रात को एक गॉंव में हुये चौपाल पर चौगोला (यह काव्य की ग्रामीण लोक विधा है) सम्मेलन में बैठने का आग्रह किया और अपने विचार उन्हे बताने तथा उनके विचार जानने की विनयपूर्ण आमंत्रण दिया ।