| 41. | लघु, रुक्ष, विपाक मे कटु, रस मे कटु तिक्त, वीर्य मे उष्ण, कफ़वात शामक
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| 42. | कर्माशय का विपाक तीन रूपों में प्रकट होता है-जाति, आयु और भोग।
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| 43. | कर्म विपाक का सिद्धान्त परलोक सुधारने के भारतीय दर्द्गानों में वर्णित कर्म-फिलॉसफी को समझना होगा।
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| 44. | यह लघु, रुक्ष, रस मे तिक्त विपाक मे कटु और वीर्य मे उष्ण होता है।
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| 45. | नदी उदुम्बर-गूलर-गूलर कई तरह गुण वाला तथा रसवीर्य और विपाक में उससे
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| 46. | पुनर्जन्म और परलोक को बनाने और सुधारने में कर्म विपाक के सिद्धान्त का बहुत योगदान है।
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| 47. | पातंजलि योग सूत्र के अनुसार क्लेश कर्म विपाक आशय से रहित पुरुष विशेष ही ईश्वर है।
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| 48. | मेरा प्रयोग है कि सारे गरम विपाक वाले मसाले भी खीर के साथ चल जाते हैं।
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| 49. | गुण: बनफ्शा का पंचांग (पाँचों अंग) लघु, स्निग्ध, कटु, तिक्त, उष्ण और विपाक में कटु है।
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| 50. | आयुर्वेदानुसार तुलसी रस में कटु-तिक्त, रूक्ष व लघु, विपाक में कटु एवं वीर्य में ऊष्ण होती है।
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