पर्वतराज-सुता पार्वती के विलासमय रमणीय कटाक्षों से परमानन्दित (शिव), जिनकी कृपादृष्टि से भक्तजनों की बड़ी से बड़ी विपत्तियाँ दूर हो जाती हैं, दिशाएँ ही जिनके वस्त्र हैं, उन शिवजी की आराधना में मेरा चित्त कब आनंदित होगा?.३.
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एनिमेटेड फ्लशड अवे में उन्होंने मोरी साफ़ करने वाली चुहिया रीटा के लिए स्वर दिया, जो रॉडी (ह्यू जैकमैन) को रेट्रोपॉलिस नामक शहर से भगाने में मदद करती है, ताकि वह अपने विलासमय मूल केनसिंगटन पहुंच सके.
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पर्वतराजसुता के विलासमय रमणीय कटाक्षों से परम आनंदित चित्त वाले (माहेश्वर) तथा जिनकी कृपादृष्टि से भक्तों की बड़ी से बड़ी विपत्तियाँ दूर हो जाती हैं, ऐसे (दिशा ही हैं वस्त्र जिसके) दिगम्बर शिवजी की आराधना में मेरा चित्त कब आनंदित होगा।
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पर्वतराजसुता के विलासमय रमणीय कटाक्षों से परम आनंदित चित्त वाले (माहेश्वर) तथा जिनकी कृपादृष्टि से भक्तों की बड़ी से बड़ी विपत्तियाँ दूर हो जाती हैं, ऐसे (दिशा ही हैं वस्त्र जिसके) दिगम्बर शिवजी की आराधना में मेरा चित्त कब आनंदित होगा।
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पर्वतराजसुता के विलासमय रमणीय कटाक्षों से परम आनंदित चित्त वाले (माहेश्वर) तथा जिनकी कृपादृष्टि से भक्तों की बड़ी से बड़ी विपत्तियाँ दूर हो जाती हैं, ऐसे (दिशा ही हैं वस्त्र जिसके) दिगम्बर शिवजी की आराधना में मेरा चित्त कब आनंदित होगा।
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पर्वतराज-सुता पार्वती के विलासमय रमणीय कटाक्षों से परमानन्दित (शिव), जिनकी कृपादृष्टि से भक्तजनों की बड़ी से बड़ी विपत्तियाँ दूर हो जाती हैं, दिशाएँ ही जिनके वस्त्र हैं, उन शिवजी की आराधना में मेरा चित्त कब आनंदित होगा?. ३.
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पर अब शैतान बेनाम अल्लाह के रूप में अपने झूठे नबियों के ज़रिये दुनिया से यह कहता है कि, “ तुम मेरे नाम से ग़ैर मुसल्मानों पर श्राप भेजो, धोखा करो और फ़रेब खिलाओ और मैं तुम्हें उस हक़ीक़ी परमेश्वर येहोवा की नाई दण्ड नहीं बल्कि मेरा विलासमय जन्नत दूँगा।
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सामाजिक विषमता को दूर करने के लिए संत कबीर ने छद् मवेश और पाखंडों की निंदा की, मिथ्याचारों पर अदम्य प्रहार किया, कुप्रथाओं की भर्त्सना की, निर्धन के शोषण से उपार्जित धन के बल पर विलासमय जीवन व्यतीत करने वाले पूंजीपतियों के आगे कनक और कामिनी की असारता सिद्ध की।
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युधिष्ठिर:-पितामह, इस संसार में ऐसा क्यों होता है, कि शुभ और पुण्य कर्म करने वालों को जीवन भर संघर्ष करना पड़ता है, जबकि पाप कर्मों में लिप्त और जीवन भर भोग-विलासमय जीवन व्यतीत करने वाले कभी भी समस्याओं के भंवर में फंसते हुए नहीं देखे जाते, ऐसा क्यों पितामह? ऐसा क्यों?
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पूर्व में लूत ने यर्दन की उपजाऊ, आकर्षक तराई को चुन अपना निवास बनाया था, और बहुत सम् पन् न होकर अपनी पत्नि, दो बेटियों और दामादों के साथ सदोम में निश्चिन् त विलासमय जीवन बितर रहा था, पर उसके चारों ओर म हा पापमय जीवन बिताने वाले लोग थे और परमेश् वर ने क्रोधित हो उस पापमय तराई को नष् ट करने का निर्णय किया।