विभिन्न कारणों से पक्षियों की प्रजातियों का विलुप्त होना जारी है और सन् 1500 से लेकर अब तक ‘भगवान के डाकिए ' कहे जाने वाले इन खूबसूरत जीवों की 128 प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं।
42.
और शक्तिशाली झूठ यह है कि कुछ भाषाएँ इतनी अवैज्ञानिक होती हैं कि उनका विलुप्त होना ही अच्छा है और करोड़ों लोगों द्वारा बोली जाने वाली कुछ भाषाओं के विकास पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
43.
मैंने कुछ दिनों पहले अंग्रेज़ी के एक अखबार के संपादकीय में यह पढ़ा कि भाषाओं का विलुप्त होना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है और इन्हें बचाने के लिए किए जा रहे प्रयत्नों का कोई खास महत्त्व नहीं है।
44.
बहुत समझाया…भतेरा समझाया…. घणा समझाया उस पागल के बच्चे को कि क्यों विलुप्त होना चाहता है?….संभाल ले अपनी लंगोटी और चुपचाप अनुलोम-विलोम कर मज़े से अपनी कुदरती जिंदगी जी ले…क्यों हमारे फटे में अपनी लुंगी समेत घुसता है?
45.
यह एक व्यंग्यात्मक लेकिन गंभीर प्रयास है, जिसमें परोक्ष रूप से सवाल उठाने की कोशिश की गई है कि यदि बाघों का शिकार वनों का विलुप्त होना और राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव इसी प्रकार जारी रहा तो बाघ सिर्फ किस्से-कहानियों में ही मिलेंगे।
46.
सुन हम मानव तू भी मानव, पर तुने मानव धर्म को त्यागा, एक जनम ही मिला सभी को, ये क्या कर डाला हाय अभागा, ………… प्रिय आनंद भाई, सादर नमस्ते …. इनको विलुप्त होना ही पड़ेगा,..
47.
यह एक व्यंग्यात्मक लेकिन गंभीर प्रयास है, जिसमें परोक्ष रूप से सवाल उठाने की कोशिश की गई है कि यदि बाघों का शिकार वनों का विलुप्त होना और राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव इसी प्रकार जारी रहा तो बाघ सिर्फ किस्से-कहानियों में ही मिलेंगे।
48.
आदरणीय समीर जी, नमस्कार जी बिलकुल अब हम त्रस्त हो चुकें है इन नेताओं से इनको विलुप्त होना ही होगा …………. देखिये कब तक हमें इनका तांडव झेलना पड़ता है …………. सुन्दर प्रतिक्रया और रचना को सराहने के लिए आभार …………
49.
रेखा जी, आपने अच्छी जानकारी दी है इस विषय पर और ज्यादा शोध और लोगों को इसकी जानकारी दोनों होनी चाहिए, यदि कोई पुराना ज्ञान हमें अच्छे परिणाम दे सकता है तो उसका विलुप्त होना सभी के लिए क्षोभ की बात होगी!
50.
यद्यपि प्राणि-शास्त्र के नियमों के अनुसार विकास की प्रक्रिया (ऐवोलुटिओन्) के अन्तर्गत किसी प्राणि-जाति का विलुप्त होना अलग बात है, लेकिन मनुष्य के विस्तारवादी-कार्यों के फलस्वरूप पर्यावरण में अवांछितउथल-पुथल, विशुद्ध व्यावसायिक दोहन, प्राकृतिक-संसाधनों के दुरुपयोग तथाअनियंत्रित व्यापार-विनिमय आदि के कारण होने वाला किसी जाति का विलोप एकभयावह स्थिति है.