योग से आत्मोन्मुखी हुआ व्यक्ति जब स्वयं में समाज, राष्ट्र, सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड व जीव मात्र को देखेगा तो वह किसी को धोखा नहीं देगा, वह किसी की निंदा नहीं करेगा क्योंकि वह अनुभव करेगा कि दूसरो से झूठ बोलना, बेइमानी करना व धोखा देना मानो स्वयं से ही विश्वासघात करना है, आत्म-विमुखता के कारण ही देश में भ्रष्टाचार, बेइमानी, अनैतिकता, अराजकता व असंवेदनशीलता है ।
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उसने एक चालाक बौने की तरह आम जनता के जनसंघर्षों का अपने पक्ष में इस्तेमाल किया, जनपहलकदमी और जुझारूपन को कभी भी निर्बन्ध होकर अपने नियन्त्रण से बाहर नहीं जाने दिया, सम्पूर्ण आज़ादी, रैडिकल भूमि सुधार, राष्ट्रीयताओं को आत्मनिर्णय के अधिकार, सार्विक मताधिकार आदि रैडिकल माँगों पर जनता को लामबन्द करना और फिर उन माँगों से पीछे हटकर विश्वासघात करना-यह कांग्रेस की आम फितरत थी।
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इस सबके होते हुए भी कर्ण अपनी बात का धनी था | जो कुछ भी वचन वह दे देता था, उससे हटना तो वह जानता ही नहीं था | श्रीकृष्ण ने उसे यह बता दिया था कि वह कुंती का ज्येष्ठ पुत्र है और साथ में उन्होंने उससे पांडवों की ओर मिल जाने का आग्रह भी किया था, लेकिन सबकुछ सुनकर भी उसने दुर्योधन के साथ विश्वासघात करना उचित नहीं समझा |
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योग से आत्मोन्मुखी हुआ व्यक्ति जब स्वयं में समाज, राष्ट्र, सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड व जीव मात्र को देखेगा तो वह किसी को धोखा नहीं देगा, वह किसी की निंदा नहीं करेगा क्योंकि वह अनुभव करेगा कि दूसरो से झूठ बोलना, बेइमानी करना व धोखा देना मानो स्वयं से ही विश्वासघात करना है, आत्म-विमुखता के कारण ही देश में भ्रष्टाचार, बेइमानी, अनैतिकता, अराजकता व असंवेदनशीलता है ।