विसूचिका या आम बोलचाल मे हैजा, जिसे एशियाई महामारी के रूप में भी जाना जाता है, एक संक्रामक आंत्रशोथ है जो वाइब्रियो कॉलेरी [1] [2] नामक जीवाणु के एंटेरोटॉक्सिन उतपन्न करने वाले उपभेदों के कारण होता है।
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टीका लगाने से लाभ होता है या नहीं, इसका बंगाल में विसूचिका के बारे में और बंबई में प्लेग के संबंध में अन्वेषण करने के लिये हैफकिन नामक विद्वान् को सरकार की ओर से नियुक्त किया गया।
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वेदान्त आदि आध्यात्मशास्त्रों के विचार से शून्य अतएव व्याकुलचित्त के संसारी लोग तभी तक मोह को प्राप्त होते हैं जब तक विषयप्रयुक्त विसूचिका रोग के समान मृत्यु की हेतु तृष्णा पीछा करती रहती है अर्थात् लोग उसका त्याग नहीं करते।।
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इस बड़े भारी काम में वह गंगा और यमुना से सहायता मॉँग रही थी, प्लेग और विसूचिका की खुशामदें कर रही थी कि ये दोनों मिल कर उस गिरधारीलाल को हड़प ले जायँ! किंतु गिरधारी का कोई दोष नहीं।
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विसूचिका या आम बोलचाल मे हैजा, जिसे एशियाई महामारी के रूप में भी जाना जाता है, एक संक्रामक आंत्रशोथ है जो वाइब्रियो कॉलेरी [1] [2] नामक जीवाणु के एंटेरोटॉक्सिन उतपन्न करने वाले उपभेदों के कारण होता है।
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27 शूल (दर्द):-सोंठ के काढ़े के साथ कालानमक, हींग तथा सोंठ के मिश्रित चूर्ण का सेवन करने से कफवातज हृदयशूल, पीठ का दर्द, कमर का दर्द, जलोदर, तथा विसूचिका आदि रोग नष्ट होते हैं।
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1. सरल हैजा या विसूचिका:-इस हैजे की अवस्था में रोगी का उपचार करने के लिए इलाटेरियम की 3 शक्ति, चायना की 6 शक्ति, इपिकाक की 6 शक्ति, आइरिस की 3 शक्ति या क्रोटन औषधि की 6 शक्ति की मात्रा का उपयोग करना लाभकारी है।
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गुण: नींबू त्रिदोष नाशक (वात, पित्त और कफ को नष्ट करने वाला), दीपक-पाचक (भोजन को पचाने वाला), क्षय (टी. बी.), हैजा (विसूचिका), गृहबाधा निवारक, रुचिकारक (भूख को बढ़ाने वाला) और दर्द में लाभ देता है।
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तत्पश्चात् इस प्रकाश से प्रेरणा लेकर अनेक वैज्ञानिक संहारक रोगों के जनक इन जीवाणुओं की खोज में लग गए और 19वीं शताब्दी के अंतिम चरण में वैज्ञानिकों ने रोगजनक जीवाणुओं की खोज यथा पूयोत्पादक, राजयक्ष्मा, डिप्थीरिया, टाइफाइड, विसूचिका (cholera), धनुस्तंभ (tetanus), प्लेग एवं प्रवाहिका (dysentery) आदि संक्रामक रोगों के विशिष्ट जीवाणुओं का पता लगाकर इनके गुणधर्म, संक्रमण एवं नैदानिक पद्धतियों पर भी प्रकाश डाला ।
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हृदय और रक्तपरिसंचरण संबंधी रोग तथा रक्तातिदाब (हाई ब्लड प्रेशर), रक्त संबंधी अन्वेषण, यकृतराग चिकित्सा, विसूचिका, कुष्ठ, मलेरिया तथा ऐं्थ्राोपॉएडों के अन्य रोग, ट्यूकर्क्युलोसिस (यक्ष्मा), रतिज रोग, बुद्धिमाप की विधियाँ, पोषणसर्वेक्षण, भारतीय जनता की शारीरिक, प्रामाणिक मापनाएँ (norm) और मेडिकल कालेजों में हुए चिकित्सा तथा शरीर क्रिया संबंधी अन्वेषणों के आँकड़े एकत्र करना।