इसके अलावा उत् तर पूर्व में लटजीरा, उत् तर पश्चिम में कुश, दक्षिण पश्चिम में दूब और दक्षिण पूर्व में ढाक का वृक्ष लगाना चाहिए।
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उन्हें फल, सब्जिया खाना और साफ हवां का आनंद लेना तो पसंद है लेकिन 500 से हजारों गज के प्लोटों में दो-चार फलदार वृक्ष लगाना मंजूर नहीं।
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यदि कुंडली में बृहस्पति शुभ हो और जिस भाव में बैठा है, मकान के उस हिस्से में या उस दिशा तरफ पीपल का वृक्ष लगाना शुभ फल देगा।
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उन्हें फल, सब्जिया खाना और साफ हवां का आनंद लेना तो पसंद है लेकिन 500 से हजारों गज के प्लोटों में दो-चार फलदार वृक्ष लगाना मंजूर नहीं।
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यदि कुंडली में बृहस्पति शुभ हो और जिस भाव में बैठा है, मकान के उस हिस्से में या उस दिशा तरफ पीपल का वृक्ष लगाना शुभ फल देगा।
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पचीसिया का कहना है कि आज के युग में अधिक से अधिक वृक्ष लगाना बहुत ही आवश्यक हो गया है, दिन-प्रतिदिन वृक्षों के अभाव में वातावरण दूषित [...]
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पचीसिया का कहना है कि आज के युग में अधिक से अधिक वृक्ष लगाना बहुत ही आवश्यक हो गया है, दिन-प्रतिदिन वृक्षों के अभाव में वातावरण दूषित होता जा रहा है।
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यात्रा करना, साझेदारी के कार्य करना, मुकदमा लगाना, बीज बोना, वृक्ष लगाना, दान देना, सार्वजनिक हित के कार्य, सेवा कार्य करने में किसी प्रकार का दोष नहीं है।
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इसके लिए स् पष् ट किया गया है कि पूर्व में गूलर, पश्चिम में शमी, उत् तर में पीपल, दक्षिण में खैर और मध् य में आक का वृक्ष लगाना लाभदायी है।
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Û दक्षिण, पश्चिम, नै त्य में आम, नींबू, संतरा, बड़, पीपल जैसे बड़े या भारी वृक्ष लगाना चाहिए लेकिन वृक्ष मकान की ऊंचाई से दो गुना दूरी पर हो।