क्योकि बुध या तो द्वितीय भाव में होगा, सूर्य से युक्त होगा या शुक्र युत होगा (जैसा की लकीर के फकीर वर्त्तमान ज्योतिषी आज भी मानते चले आ रहे हैं) इन स्थितियों में यदि बुध वृष राशि का होगा तो मात्र अपनी दशा में ही थोड़ा बहुत भाग्य को संरक्षण दे सकता है।
42.
यह जरूर है कि कभी कभी जब वृष राशि का स्वामी शुक्र गुरु से सम्बन्ध रखता है या गुरु की ही मीन राशि मे उच्च का होता है तो व्यक्ति इस संसार के भोगों को भोग लेने के बाद जीवन को पूरी तरह से जीने के बाद उसके लिये फ़िर ज्ञान की ऊंचाइयों पर पहुंचना असंभव नही होता है।
43.
वृष राशि का सूर्य धन से लगाव रखता है, और चौथे भाव में केतु का रहना सूर्य और केतु का आपसी सम्बन्ध केतु बनकर घर में रहना माना जाता है, बडा भाई तीन में से एक जगह पर रहता है, या तो वह मामा के घर रहे, या बहिन के घर रहे, या ससुराल में रहे.
44.
कर्क लगन की कुंडली चार राशि की कहलाती है चन्द्रमा तीसरे भाव में है तथा चन्द्रमा की युति मंगल से है चन्द्रमा से आगे शनि तुला राशि का है शुक्र केतु वृश्चिक राशि के होकर पंचम भाव में विराजमान है, गुरु सूर्य वक्री बुध छठे भाव में धनु राशि के है, राहू वृष राशि का होकर ग्यारहवे भाव में है.
45.
पहला अक्षर उ जो वृष राशि का है, धन कुटुम्ब और भौतिकता को दिखाने वाला है, जो इन मामलो मे बढ गया है उसी की पैठ इस प्रान्त मे अधिक मानी जाती है, बात मे अक्षर त का आधा होना, और फ़िर त का पूरा होना राज्य से सम्बन्धित मामले मे हमेशा दोहरी गति इस प्रदेश को बेलेन्स करने मे मिली है।
46.
फ़िर यही वृष राशि का प्रतीक बैल अपना और ही रूप धारण कर लेता है, आज के स्पेन और पुर्तगाल मे बैलों की लडाई का खेल विश्व भर मे प्रसिद्ध है, इस खेल मे जब कोई दिलेर नौजवान हाथ मे लाल कपडा लेकर बैल के आगे भागता है तो जिस शक्ति से बैल उसके पीछे दौडता है तो मानो वह साक्षात यमराज ही हो।
47.
एक नाम जैसे रामबाबू को देखिये, इस नाम में पहला शब्द तो तुला राशि का है और दूसरा वृष राशि का है, व्यक्ति का उठान तो तुला राशि से होता है और उसका पतन वृष राशि से होता है, कारण तुला से वृष अष्टम की राशि है और हमेशा अपमान मृत्यु और जोखिम वाले कामों को ही करने के लिये अपना अपना बल देती है।
48.
इसके साथ ही शनि पर राहु केतु मन्गल अगर असर दे रहे है तो शनि के अन्दर इन ग्रहों का भी असर शुरु हो जाता है, मतलब जैसे शनि नौकरी का मालिक है, और शनि वृष राशि का है, वृष राशि धन की राशि है और भौतिक सामान की राशि है, वृष राशि से अपनी खुद की पारिवारिक स्थिति का पता किया जाता है।
49.
इसके बाद अक्षर व के आने से वृष राशि का प्रवेश हो गया है वृष और वृश्चिक आमने सामने की राशिया है और यही राशि जिन तिरस्कृत लोगों के कारण आपका उठाव राजनीति मे हुआ बदनाम करने और दूर जाने के कारण राजनीति छवि से दूरी मानी जा सकती है, आखिरी अक्षर त के द्वारा बडी ई की मात्रा से दुबारा से बेलेन्स करने के कारण फ़िर से लाभ और मित्र बनाने की क्रिया शुरु करना माना जा सकता है।
50.
उदाहरण के लिये मेष लगन की कुंडली में गुरु नवे भाव का मालिक है और सूर्य पंचम का मालिक है सूर्य अष्टम यानी पूर्वजों की पैदा होने की जगह पर जाकर स्थापित हो जाता है, गुरु दूसरे भाव यानी वृष राशि का हो जाता है, जातक के पिता ने धन की चाहत से अपने समाज परिवार मर्यादा भाई बन्धुओ को दुख दिया होता है और उसे केवल धन की चाहत मे ही अच्छे बुरे का ख्याल नही रहता है वह अपने कृत्यों से सभी को अहम के कारण दुख देने का कारक बन जाता है।