भावार्थ:-उसने हनुमान् जी को ब्रह्मबाण मारा, (जिसके लगते ही वे वृक्ष से नीचे गिर पड़े), परंतु गिरते समय भी उन्होंने बहुत सी सेना मार डाली।
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यद्यपि वहाँ के लिए पपड़ी के इलाज के रसायन होते हैं, उनके उपयोग के रूप में वे अक्सर व्यवस्थित, जिसका मतलब है वे वृक्ष द्वारा अवशोषित कर रहे हैं, और फल भर में फैला.
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किष्किंधा पहुँचने पर वे वृक्ष के नीचे बैठे श्रीराम से मिलते हैं सीता का संदेश मिलते ही राम की लंका यात्रा आरंभ हो जाती हें श्रीराम के लंकाभियान और सेतु निर्माण के दृश्य बहुत मनोरंजक हैं।
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जंगल में लगे हुए वृक्ष जितने कीमती होते हैं उतने ही कीमती वे वृक्ष भी होते हैं जो जंगल या किसी भी क्षेत्र में लगे वृक्ष अपनी उम्र पूरी हो जाने के बाद काटे जाते हैं।
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यद्यपि वहाँ के लिए पपड़ी के इलाज के रसायन होते हैं, उनके उपयोग के रूप में वे अक्सर व्यवस्थित, जिसका मतलब है वे वृक्ष द्वारा अवशोषित कर रहे हैं, और फल भर में फैला.
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और वृक्ष पर जो फूल खिला है, उसमें जो रंग दिखाई पड़ रहे हैं, वे वृक्ष के फूल में तो हैं ही, उन रंगों के संबंध में आंख ने भी बहुत कुछ जोड़ दिया है जो वृक्ष के फूल पर नहीं है।
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उसके अनुसार बगीचे के फल खाकर, वे मासूम-अनाथ बच्चे तो तृप्त होते ही है, साथ ही फलदाता पेड़-पौधे भी मानो खुश और प्रफुल्लित होते है और गुलाब सिंह के अनुसार ऐसे दान से ही वे वृक्ष दिन दूने और रात चौगुने फलते-फूलते हैं।
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हम अपने जीवन में स्वयं ही नरक के बीज बोते हैं और जब वे वृक्ष बन जाते हैं, तब हम अचरज से पूछते हैं कि भला मैं इतना दुःखी क्यों हूँ? कारण केवल इतना ही है कि हम सदा गलत चीजों पर ध्यान लगाते हैं।
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वनस्पति के वे वृक्ष हैं जिनमे फल लगें पुष्प ना आवें, जैसे-पीपल, अंजीर, गुलर,आदि, जिनमे फुल आवें और फल भी लगे वे वानास्पत्स्य हैं-जैसे आम, अमलताश आदि, औषधि वे हैं जो फल पकने के बाद सूख कर नष्ट हो जाती हैं, वीरुध वे हैं जिनमे प्रतान अर्थात फैलने से सूत या तंतु निकलते हों, जैसे-लताएँ, वेलें, तरबूज आदि,
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वनस्पति के वे वृक्ष हैं जिनमे फल लगें पुष्प ना आवें, जैसे-पीपल, अंजीर, गुलर, आदि, जिनमे फुल आवें और फल भी लगे वे वानास्पत्स्य हैं-जैसे आम, अमलताश आदि, औषधि वे हैं जो फल पकने के बाद सूख कर नष्ट हो जाती हैं, वीरुध वे हैं जिनमे प्रतान अर्थात फैलने से सूत या तंतु निकलते हों, जैसे-लताएँ, वेलें, तरबूज आदि,