अभी थोड़े दिन पहले ही शुक्रवार को देखा जब हम हायपर सिटी में हमारे आगे कुछ लड़कियाँ बिलिंग करवा रही थीं, व्हिस्की रम और वोद्का ले जा रही थीं और पेप्सी और कंडोम्स की बिलिंग करवा रही थीं, हमने अपनी घरवाली से कहा देखो इन लड़कियों ने सप्ताहांत पर रिलेक्स होने का पूरा इंतजाम कर लिया है, उनको भी कोई फ़र्क नहीं पड़ा क्योंकि महानगर में रहकर सोच बदल ही जाती है, खैर हमें भी अपनी सोच बदलनी होगी।
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अभी थोड़े दिन पहले ही शुक्रवार को देखा जब हम हायपर सिटी में हमारे आगे कुछ लड़कियाँ बिलिंग करवा रही थीं, व्हिस्की रम और वोद्का ले जा रही थीं और पेप्सी और कंडोम्स की बिलिंग करवा रही थीं, हमने अपनी घरवाली से कहा देखो इन लड़कियों ने सप्ताहांत पर रिलेक्स होने का पूरा इंतजाम कर लिया है, उनको भी कोई फ़र्क नहीं पड़ा क्योंकि महानगर में रहकर सोच बदल ही जाती है, खैर हमें भी अपनी सोच बदलनी होगी।
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शहरों की अपनी विशिष्ट गंध होती है, अकरा में समुद्र और मसालों की गंध होती है, हैफा से गंध आती है चीड़ों और बिस्तर की सिलवटदार चादरों की, मास्को से गंध आती है बर्फ पर पड़ी वोद्का की, काहिरा में गंध है आम और अदरक की, बेरूत में धूप और समुद्र और धुएं और नीबुओं की, पेरिस में गंध है ताजा रोटी और पनीर की और फेटा पनीर के रेशों की, दमिश्क गंधाता है चमेली और सूखे मेवा से, ट्यूनिस रात और नमक की मुश्कीं से, रबात मेंहदी और लोबान और शहद से।
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ये वो लोग थे जिन्होने अपनी अपनी स्कालरशिप और एजुकेशन लोन को वोद्का की बोतलो मे बहा दिया था … जो पीने के बाद जितनी जल्दी गालीगलौज करते थे, उतनी ही जल्दी रोते भी थे … वो ‘ बार ' मे एक दूसरे को पीने के नाम पर चैलेन्ज करते थे और फ़िर हॉस्टल जाते हुए एक दूसरे को संभालते थे … ये कभी सडको पर पडे मिलते थे तो कभी हॉस्टल के गार्डेन की खुदी हुयी क्यारियो मे … ये हर लम्हा जीते थे … लेकिन ये सभी उस जहां के सिकन्दर थे..