संस्थान में हिंदी शिक्षण के अतिरिक् त शोधकार्य भी किया जाता है, शोध कार्य के विभिन्न पहलुओं के रूप में व्यतिरेकी भाषाविज्ञान, अनुप्रयुक् त भाषाविज्ञान, कोश विज्ञान, भाषा शिक्षण, शैली विज्ञान, अनुवाद, समाज-भाषाविज्ञान, मनो-भाषाविज्ञान और सांस्कृतिक दृष्टिकोणों को प्रमुखता दी जाती है।
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व्यतिरेकी भाषाविज्ञान का उदय द्वितीय विश्वयुद्ध के समय फौज़ के लोगों को उन देशों की भाषाएँ, जहाँ वे लड़ने जा रहे थे, सिखाने के उद्देश्य से भाषाविज्ञानियों से कहा गया था कि वे वहाँ की भाषाओं को कम से कम समय में सीखने व सीखाने के लिए शिक्षण-सामग्री तैयार कर मुहय्या कर दें.
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चूँकि व्यतिरेकी विश्लेषण अन्य भाषा शिक्षण के साथ जुड़ा हुआ है और भाषाशिक्षण अधिगम-प्रक्रिया पर निर्भर है अतः व्यतिरेकी भाषाविज्ञान मनोवैज्ञानिक आधार / या घटक की अपेक्षा रखता है. अधिगम मनोविज्ञान के अंतर्गत प्रमुखतः दो स्कूल प्रचार में हैं:--(इ) व्यवहारवादी मनोविज्ञान और (इइ) अवयवी या संज्ञानात्मक मनोविज्ञान. (इ) व्यवहारवादी मनोविज्ञान में अधिगम दो तत्त्वों के संसर्ग से संबंध रखता है:-उद्दीपन/उत्तेजना और अनुक्रिया (उ..