क्योंकि ऐसी दृश्य वस्तुओं को बच्चों के लिए सुनने में व्यर्थ की बात है, और बिना किसी भी संतोष के, जबकि वे उनके बारे में कुछ नहीं जानते, वे विचार उन ध्वनियों से नहीं आते हैं, लेकिन खुद उन वस्तुओं से या उनके चित्रों से आते हैं.
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कोई दिन निर्दयी मुत्मईनों से नहीं पूछता कि आखिर अ ब स और अ स ब में क्या फर्क है, और व्यर्थ की बात के लिए क्यों छात्रों का खून करते हो? दाल भात रोटी या भात दाल रोटी खाई, इसमें क्या रखा है।
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आंखों से व्यर्थ के दृष्य देखते रहते हैं, कानों से व्यर्थ की बहस सुनते रहते हैं, जबान से व्यर्थ की बात और भोजन करते रहते हैं, नाक से अनावश्यक सुगंध को सूंघते रहते हैं और मन-मस्तिष्क से व्यर्थ के विचार, चिंता और चिंतन को करते रहते हैं।
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आंखों से व्यर्थ के दृष्य देखते रहते हैं, कानों से व्यर्थ की बहस सुनते रहते हैं, जबान से व्यर्थ की बात और भोजन करते रहते हैं, नाक से अनावश्यक सुगंध को सूंघते रहते हैं और मन-मस्तिष्क से व्यर्थ के विचार, चिंता और चिंतन को करते रहते हैं।
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एक दिन पितामह से न रहा गया | उन्होंने इसे फटकारते हुए कहा, ” दुरभिमानी कर्ण! व्यर्थ की बात क्यों किया करता है | खाण्डव दाह के समय श्रीकृष्ण और अर्जुन ने जो वीरता प्रकट की थी, उसको याद करके तुझे लज्जित होना चाहिए | क्या तू श्रीकृष्ण को साधारण व्यक्ति समझता है?
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तुम चली तो गई मन अकेला हुआ सारी यादों का पुरजोर मेला हुआ जब भी लौटी नई खुशबूऒं मे सजी मन भी बेला हुआ तन भी बेला हुआ खुद के आघात पर व्यर्थ की बात पर रूठती तुम रही मै मनाता रहा तुम गज़ल बन गई, गीत में ढल गई मंच से मै तुम्हे गुनगुनाता रहा
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पिछले दो तीन दिनों में, इस महान देश के करोड़ों नागरिकों ने करोड़ों घंटे इस व्यर्थ की बात को सोचने और निर्णय करने के प्रयास में खर्च कर दिए कि आई पी एल के सम्बन्ध में हुए, शाहरुख खान और बाला साहब ठाकरे के विवाद में कौन सही है...मुंबई में धुरंधर माने जाने वालों में इस तरह के मैच पहले भी होते रहें हैं..