एम. आर. सेठी के समक्ष अपने लम्बे बयान में भगौर नें जो विवरण दिए वे शब्दश: जुल्फिकार के विवरण से नहीं मिलते थे पर लम्बे अरसे के बाद अगर दो लोग एक ही घटना का अलग अलग बयान कर रहे हों तो यह स्वाभाविक है कि उनकी सूचनाओं में कुछ फर्क होगा ही |
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25 अगस्त, 1951; नवापारा (राजिम), छत्तीसगढ शिक्षा दीक्षा: एम.एस.सी.(रसायन शास्त्र), एम.ए.(हिन्दी), बी.एड. रचनाकर्म: कविता संग्रह-धीरे धीरे बहती है नदी, शब्दश: शव्द, अनंत का अंत, अलविदा बीसवीं सदी, सम्हाल कर रखना अपनी आकाशगंगा, सुन रही हो ना (प्रकाशनाधीन) समीक्षा-कविता का सफरनामा, विधा की दुविधा में व्यंग तथा कथा की कथा.
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मैं पूरी ताकत के साथ शब्दों को फेंकता हूं आदमी की तरफ यह जानते हुए कि आदमी का कुछ नहीं होगामैं भरी सड़क पर सुनना चाहता हूं वह धमाकाजो शब्द और आदमी की टक्कर से पैदा होता हैयह जानते हुए कि लिखने से कुछ नहीं होगामैं लिखना चाहता हूं ।-केदार नाथ सिंह वो भुकड़ी लगी रोटियां आज पढ़ रहा थाभुकड़ी लगेरोटियों को, थोड़ी पिली जरूरपर शब्दश:
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' बाथरूम' का यदि शब्दश: हिंदी एक व्यंग: सुदामा फिर आइहौ.... एक व्यंग: सुदामा फिर आइहौ.... सुदामा की पत्नी ने अपनी व्यथा कही.... ' हे प्राण नाथ! या घर ते कबहूँ न बाहर गयो,यह पुरातन फ्रीज़ और श्वेत-श्याम टी०वी० अजहूँ ना बदली जा सकी.पड़ोस की गोपिकाएं कहती हैं 'हे सखी! आज-कल आप के बाल-सखा श्रीकृष्ण का राज दरबार दिल्ली में है.आप दिल्ली में द्वारिका की यात्रा क्यों नहीं करते?
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(50) राज्यसभावादविवाद-सभा में कही गई किसी भी बात का शब्दश: अभिलेख राज्य सभा की प्रत्येक बैठक के लिए शासकीय वृत्तलेखक द्वारा प्रतिवेदित किया जाता है, कुछ ऐसे शब्दों, वाक्यांशों तथा अभिव्यक्ति, यदि कोई हों, को छोड़कर जिनके लिए सभापीठ द्वारा कार्यवाही से निकाले जाने हेतु उस समय आदेश दिया जाता है अथवा सभापति द्वारा अभिलिखित न किए जाने हेतु उस समय आदेश दिया जाता है, जब सदस्य उनकी अनुमति के बिना बोलते हैं।
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आप यहां है-होम » भारत » नैशनल » ' राजीव गांधी हत्याकांड का अहम सबूत दबाया गया'इन्हें भी पढ़ें'राजीव गांधी मामले में पेरारिवलन का बयान शब्दश: दर्ज नहीं हुआ”बोफोर्स का पैसा' पार्टी खाते में लाना चाहते थे राजीव गांधी?राजीव गांधी की सुरक्षा पर कांग्रेसी मंत्री का 'झूठ'मुंबई पुलिस के पास नहीं है दाऊद की आवाज'इशरत के एनकाउंटर पर ऑफिसरों में था मतभेद'सभी एनबीटी मेरा प्रोफाइलसाइन इन मेडल जीतने के लिएथर्ड अंपायरवेबसाइट पर आपत्तिजनक कॉमेंट खोजें और दर्ज करें।
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एम. आर. सेठी के समक्ष अपने लम्बे बयान में भगौर नें जो विवरण दिए वे शब्दश: जुल्फिकार के विवरण से नहीं मिलते थे पर लम्बे अरसे के बाद अगर दो लोग एक ही घटना का अलग अलग बयान कर रहे हों तो यह स्वाभाविक है कि उनकी सूचनाओं में कुछ फर्क होगा ही | स्पष्ट था कि जुल्फिकार मुझसे जिस संवाद का जिक्र कर रहा था वह उसकी कल्पनाशक्ति की ही उपज थी परंतु मैंने उसे टोका नहीं और बोलने दिया।