शब्द के परिवृत्तिसह स्थलों में अर्थालंकार और शब्दों की परिवृत्ति न सहनेवाले स्थलों में शब्दालंकार की विशिष्टता रहने पर उभयालंकार होता है।
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दशम परिच्छेद ' में अलंकारों का सोदाहरण निरूपण है जिनमें 12 शब्दालंकार, 70 अर्थालंकार और रसवत् आदि कुल 89 अलंकार परिगणित हैं।
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आचार्यों ने अलंकारों के सर्वप्रथम तीन भेद किए हैं-शब्दालंकार, अर्थालंकार और उभयालंकार (शब्दालंकार और अर्थालंकार दोनों के गुण से युक्त) ।
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आचार्यों ने अलंकारों के सर्वप्रथम तीन भेद किए हैं-शब्दालंकार, अर्थालंकार और उभयालंकार (शब्दालंकार और अर्थालंकार दोनों के गुण से युक्त) ।
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तथापि विचारकों ने अलंकारों को शब्दालंकार, अर्थालंकार, रसालंकार, भावालंकार, मिश्रालंकार, उभयालंकार तथा संसृष्टि और संकर नामक भेदों में बाँटा है।
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अलंकार-साहित्य में वर्णन करने की वह रीति जिससे चमत्कार और रोचकता आती है| “विशेषकर अलंकार दो प्रकार का होता है |1. शब्दालंकार और2.
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61 वाक्य दोष होते है-21 इक्कीस 62 अलंकार के भेद होते है-शब्दालंकार, अर्थालंकार, उभयालंकार 63 अलंकार कहते है-काव्य की शोभा बढाने वाले को।
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स्फुट (स्पष्ट) व्यंग्यार्थ (चाहे वह मनुष्य हो या गुणीभूत) का अभाव रहने पर शब्दालंकार अर्थालंकार आदि से, जिसमें शब्दवैचित्र्यमूलक या अर्थवैचित्र्यमूलक कोरे चमत्कार की सृष्टि की जाती है, उसे “चित्रकाव्य” कहते हैं।
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संगोष्ठी के द्वितीय सत्र की अध्यक्षता महेन्द्र झा ने की तथा प्रतिभागियों में सर्व श्री रमण झा ने शब्दालंकार के अन्तर्गत आनेवाले अनुप्रास एवं मैथिली साहित्यक व्याकरण के कई उदाहरण प्रस्तुत किये।
50.
द्वितीय परिच्छेद में शब्दालंकार का निर्णय करते हुए उन्होंने सर्वप्रथम औचिती पर बल दिया तथा जाति, रीति, वृत्ति, छाया, मुद्रा, उक्ति, युक्ति, भणिति, गुंफना, शय्या एवं पठिति का सोदाहरण विवेचन किया है।