बावजूद इसके, डॉ. नटवर झा ने सिर्फ़ महाभारत के उपर्युक्त श्लोकों को गड्डमड्ड करके अपना मत बनाया कि प्रजापति-कश्यप का वैदिक शब्द-संग्रह सिन्धु लेखों में प्रस्तुत हुआ है, और चूंकि उनके अनुसार यास्क ने ‘पाताललोक' या ज़मीन के भीतर दबे (यानी सिन्धु सभ्यता के स्थलों में दबे) इस शब्द-संग्रह का उद्धार किया, इसीलिए सिन्धु लेखों को यास्क के निघण्टु व निरुक्त के आधार पर पढ़ा जा सकता है।
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बावजूद इसके, डॉ. नटवर झा ने सिर्फ़ महाभारत के उपर्युक्त श्लोकों को गड्डमड्ड करके अपना मत बनाया कि प्रजापति-कश्यप का वैदिक शब्द-संग्रह सिन्धु लेखों में प्रस्तुत हुआ है, और चूंकि उनके अनुसार यास्क ने ‘ पाताललोक ' या ज़मीन के भीतर दबे (यानी सिन्धु सभ्यता के स्थलों में दबे) इस शब्द-संग्रह का उद्धार किया, इसीलिए सिन्धु लेखों को यास्क के निघण्टु व निरुक्त के आधार पर पढ़ा जा सकता है।
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बावजूद इसके, डॉ. नटवर झा ने सिर्फ़ महाभारत के उपर्युक्त श्लोकों को गड्डमड्ड करके अपना मत बनाया कि प्रजापति-कश्यप का वैदिक शब्द-संग्रह सिन्धु लेखों में प्रस्तुत हुआ है, और चूंकि उनके अनुसार यास्क ने ‘ पाताललोक ' या ज़मीन के भीतर दबे (यानी सिन्धु सभ्यता के स्थलों में दबे) इस शब्द-संग्रह का उद्धार किया, इसीलिए सिन्धु लेखों को यास्क के निघण्टु व निरुक्त के आधार पर पढ़ा जा सकता है।