शांति अवस्था प्राप्त कर लेने के बाद, व्यक्ति वास्तविक साधना के लिए ध्यान में बैठ सकता है और साधना में आगे बढ़ने के लिए शांत अवस्था पर निर्भर हो सकता है।
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मस्तिष्क में शांत अवस्था (7-14 hertz)) में उत्पन्न तरंगों को अल्फा तरंग कहते हैं (बीटा, थीटा और डेल्टा अन्य तरंगें होती हैं) ।
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योग का संपूर्ण प्रयास ही इस बात के लिए है कि व्यक्ति को ऐसी गहन शांत अवस्था तक ले आए कि फिर उस शांति को कोई भी भंग न कर सके।
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शांति अवस्था प्राप्त कर लेने के बाद, व्यक्ति वास्तविक साधना के लिए ध्यान में बैठ सकता है और साधना में आगे बढ़ने के लिए शांत अवस्था पर निर्भर हो सकता है।
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अनुकूल परिस्थितियों के सुख में लालसा नहीं और प्रतिकूल परिस्थितियों के दुःख का भय नहीं तो चित्त साम्य अवस्था में पहुँच जाएगा, शांत अवस्था में पहुँच जाएगा, निःसंकल्प अवस्था में पहुँच जाएगा।
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जब तक आत्मा आवाज़ की दुनिया से परे परमधाम में शांत अवस्था में पड़ी है तभी तक मुक्त है सृष्टि चक्र में अपनी पारी आने पर पार्ट बजाने उसे शरीर में फिर से आना ही पड़ेगा.
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दूसरा अर्थ मध्यावस्था शांत अवस्था है … मध्यावस्था ये परमात्मा की अवस्था है जैसे श्वास लिया और बाहर आया, इस बिच का समय संधि का समय है … संधि का समय जितना अधिक बढे उतने ही आप अधिक परमात्म तत्व में टिक जाते..
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नए उम्मीदवार कि साख हो, जैसे बगुला महाराज माला जपने का स्वांग बहुत निपुणता के साथ करते हैं और मछली गटक कर पुन: शांत अवस्था में आ जाते हैं, ठीक ऐसे ही साख वाले लोग मिल जाए जो संत जैसे स्वांग में बिना चबाये माल गटक सके और मिलझुल कर बाँट खा सके.
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मन की सौम्यता बनाये रखना ही अध्यात्म का लक्ष्य है, हमारा मन जब संसार की ओर उन्मुख होता है तो अपनी सौम्यता खो सकता है यदि सचेत न रहा, जब भीतर जाता है तो शांत अवस्था को प्राप्त होता है यदि सजग रहा, वहीं उसका वास्तविक घर है, जहाँ उसे पूर्ण विश्राम मिलता है.
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विचार शक्ति-विचारों को अपने लक्ष्य तक पहुँचने के लिए शक्ति की आवश्यकता होती है | अशांत मन में उठे विचारों में शक्ति होती ही नहीं | इस लिए वे लक्ष्य तक पहुँच नहीं पाते | जिस समय मन शांत अवस्था में होता है, विचार भी शक्ति पा लेते हैं और हमारे सभी संकल्प तुरंत साकार हो जाते हैं |