आयोजन में संजय कुमार, निरल कर्ण, राकेश रंजन, संजय तिवारी, ललन ओझा, डॉ ओम प्रकाश मिश्र, डॉ प्रहलाद सिंह, स्वाति अग्रवाल, मंजुला जैन, कुमार केशव, शाद्वल कुमार, उर्मिला नायक, कल्याणी बाला सिंह, 'योतिर्मय वर्मा, कल्पना प्रसाद, रंजना शर्मा, अंजली झा, राजीव झा ने मुख्य भूमिका निभाया।
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जीवाश्मसंकेत, सूत्र औ संरचना इंगित करते हैं जिस रचना को उसके कल अनुमान मिले हैं गूंज रहे इस शाद्वल में प्रणय के कुछ गान मिले हैं पर्वत, घाटी, नदिया, झरनों परअपने कुछ वृतांत मिले हैं हिमखंडों के भीतर बाहरतेरे मेरे नाम मिले हैं अपनी भंगुर सांसों की...
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जीवाश्मसंकेत, सूत्र औ संरचना इंगित करते हैं जिस रचना को उसके कल अनुमान मिले हैं गूंज रहे इस शाद्वल में प्रणय के कुछ गान मिले हैं पर्वत, घाटी, नदिया, झरनों परअपने कुछ वृतांत मिले हैं हिमखंडों के भीतर बाहरतेरे मेरे नाम मिले हैं अपनी भंगुर सांसों की
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न्यूयॉर्क शहर के सेंट्रल पार्क, जो 1859 के बाद से खुला है सही करने के लिए एक दिन की वापसी का आनंद शाद्वल, या डामर, इस्पात और काँच है कि बड़े पैमाने पर महानगरीय क्षेत्र के थोक बनाने से भी एक संक्षिप्त राहत है.
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सभी बंद आँखोंवाले घिरे हुए हैं मरुस्थलों से, मृग मरीचिका के सदर्श प्रलोभन और भ्रम आरुढ़ है इन मरुस्थलों में ; खुले हैं चक्षु जिनके प्राप्य है उन्हें आनन्द शाद्वल का मरुद्यान का … और वहीँ कुछ दुर्भागी कर रहे हैं प्राणांत मरुस्थल कि सोचों में, मरीचिका के
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एक शाद्वल, ब्रह्मांडीय धारा में एक द्वीप धूप में विचित्र है, जहां नि: स्वार्थ प्रेम एक शाश्वत ज्या हमलों, और हर छोटी धब्बा बनाया गया है और लकीर धीरे अपने भीतर खिड़कियों से साफ हो जाता है जब तक सभी के रूप में के रूप में बिना के भीतर उज्ज्वल है.
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इस उपगण में आने वाले कृंतकों के उदाहरण हैं: डाइपोडाइडी (Diepodidae) कुल के चपलाखु (Jerboas); क्राइसेटाइडी (Cricetidae) कुल के शाद्वल मूष (Voles), मृगाखु (Deer mouse) तथा संयाति (Lemmings); म्यूराइडी (Muridae) कुल के मूष (Rats), मूषक (Mice), स्वमूषक (Dormice), क्षेत्रमूषिका (Field mice) आदि तथा ज़ेपाडाइडी (Zapodidae) कुल के प्लुतमूषक (Jumping mice)।
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स्वर्गिक अप्सरि सी प्रिय सहचरि हो हँसमुख संग, मधुर गान हो,सुरा पान हो लज्जारुण रंग! कल कल छ्ल छ्ल बहता हो जल तट हो कुसुमित कोमल शाद्वल चूमे पद तल साकी हो स्मित! इससे अतिशय स्वर्ग न सुखमय यही सुर सदन, छोड़ मोह भय, मदिरा में लय हो विमूढ़ मन!
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हजारीबाग: आज के भारत को युवा शक्ति ही संभाल सकती है। भारत को विश्वगुरु बनाने में युवाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है। यह बातें उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल के आयुक्त सह विभावि कुलपति डॉ. नीतिन मदन कुलकर्णी ने बुधवार को भारत जागो दौड़ कार्यक्रम में शामिल विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने स्वामी विवेकानंद के विचारों को आत्मसात करने का संदेश दिया। विभावि के कुलसचिव सतीश्वर प्रसाद सिन्हा ने कहा कि युवाओं को समाज के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। जिला सह संयोजक शाद्वल कुमार ने कहा कि य