को वश मे रखने के लिये अनेक शिक्षा प्रद उदहारण दिये गये है जैसे-अरे मनन पूरे जीवन तुम इस शरीर की ही सेवा करते रहे हो और जब शरीर छूट गया तो तुम्हारा कही नामो निशान नहीं था | समर्थ गुरु रामदास जी ने बाल्मीकि की पूरी रामायण अपने हाथ से लिखी | यह पाण्डुलिपि आज भी धुबलिया के श्री एस एस देव के संग्रलाई मे सुरक्षित है | रामदास जी के हजारो शिष्यों छत्रपति शिवाजी और अम्बा जी उनकी हर प्रकार से सेवा करते और उनके वचनों को कलमबद्ध करते-