| 41. | शिर, ग्रीवा, वक्ष, उदर, हाथ और पैर होते हैं।
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| 42. | शिर: पीड़ा निम्नलिखित कई प्रकार की हो सकती है:
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| 43. | तुम उठो, धरती उठे, नभ शिर उठाए,
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| 44. | मृग शिर दादी नानी की कहानियाँ-
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| 45. | आश्रित / शिष्य चरण छुए, और वोह हमारा शिर छुए ।
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| 46. | हुड़दंगा शिर धुनकर चुप हो गया ।
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| 47. | वही विश्व स्वरूप विष्णु के शिर का स्थान है।
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| 48. | शिर, ग्रीवा, वक्ष, उदर, हाथ और पैर होते हैं।
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| 49. | शिर से पद तक ऋषि गण प्यारे,
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| 50. | मारी चोंच भुआ जब देखा पटक-पटक शिर रोया ।
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