शीतऋतु के अनुसार ठाकुरजी का सुख विचार कर अर्थात गुड़ तथा तिल व शक्कर की सामग्री जो कि उष्ण होती है वह ठाकुरजी के लिए शीतकाल में लाभप्रद है।
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शीतऋतु के अनुसार ठाकुरजी का सुख विचार कर अर्थात गुड़ तथा तिल व शक्कर की सामग्री जो कि उष्ण होती है वह ठाकुरजी के लिए शीतकाल में लाभप्रद है।
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गौरतलब है कि सर्दियों के लिए अंग्रेजी में विंटर शब्द है जिसका जन्म भी उड या वेड की शब्दश्रृंखला से है जिनसे वेट (नमी) जैसे शब्द बने और जिनका अर्थविस्तार शीतऋतु हुआ।
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गौरतलब है कि सर्दियों के लिए अंग्रेजी में विंटर शब्द है जिसका जन्म भी उड या वेड की शब्दश्रृंखला से है जिनसे वेट (नमी) जैसे शब्द बने और जिनका अर्थविस्तार शीतऋतु हुआ।
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इस बाग़ में इमारतों का एक काम्पलेक्स है जिसमें प्रवेश द्वार और उससे संबंधित कमरों के अतिरिक्त एक शरबत-ख़ाना, शीतऋतु के लिये कुछ कमरे, चौकीदार का कमरा, स्नामगृह तथा रसोईघर मौजूद है।
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* शीतऋतु में अधिक देर तक भूखे न रहें, क्योंकि जठराग्नि की प्रबलता के कारण यथासमय भोजन नहीं करने से यह अग्नि शरीर की धातुओं को जला डालती है, जिससे जीवन-शक्ति का क्षय होता है।
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रंगो को छुडाने में शीतऋतु की समस्त शारीरिक अशुद्धता तो दूर होती ही साथ ही साथ यदि किन्ही दो व्यक्तियों या परिवारों में मनमुटाव होता वह भी दूर हो जाता क्योंकि होली सामाजिक सौहार्द्र का पर्व है ।
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रंगो को छुडाने में शीतऋतु की समस्त शारीरिक अशुद्धता तो दूर होती ही साथ ही साथ यदि किन्ही दो व्यक्तियों या परिवारों में मनमुटाव होता वह भी दूर हो जाता क्योंकि होली सामाजिक सौहार्द्र का पर्व है ।
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तथा पुष्पनकाल एवं शीतऋतु में अधिक फास्फोरस युक्त उर्वरक (10 ना.:30फा.:२०पो.) का प्रयोग करना चाहिए उर्वरक को 1 ग्राम प्रति ली० पानी में घोल कर वृद्धिकाल में सप्ताह में एक बार तथा शीत ऋतु एवं पुष्पन काल में माह में एक बार देना चाहिए
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देवशयन (देवताओं की निन्द्रा) और देवोत्थान (देवताओं का जागना) के बीच का जो अन्तराल होता है, वो वर्षाकाल और शीतऋतु (सर्दियों) के प्रारंभ (आषाढ़ शुक्ल से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक) होने तक का समय होता है।