ऐसी शीतनिद्रा पर्याय (आह, यह भी एक रूपक है!) हमारे जीवन में भी होता है: समाज भी शीतनिद्रा में डूबते हैं, संस्कृतियाँ भी शीतनिद्रा लेती हैं-पर यह तो एक प्रकार का कायाकल्प होता है, पुनरुज्जीवन होता है, शिलित होना नही होता! शीतनिद्रा के बाद हिमालयी रीछ और गिलहरी नई स्फूर्ति के साथ क्रियाशील होते हैं ;
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ऐसी शीतनिद्रा पर्याय (आह, यह भी एक रूपक है!) हमारे जीवन में भी होता है: समाज भी शीतनिद्रा में डूबते हैं, संस्कृतियाँ भी शीतनिद्रा लेती हैं-पर यह तो एक प्रकार का कायाकल्प होता है, पुनरुज्जीवन होता है, शिलित होना नही होता! शीतनिद्रा के बाद हिमालयी रीछ और गिलहरी नई स्फूर्ति के साथ क्रियाशील होते हैं ;
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हिंदी ब्लॉग जगत बहुत दिनों से हाइबरनेशन यानि शीतनिद्रा में था...भला हो जर्मन डायचे वेले का जो इसने शीतनिद्रा को भंग किया...लगता है हर ब्लॉगर तरकश के सारे तीरों के साथ उठ खड़ा हुआ है...कुछ पुरस्कारों के समर्थन में, कुछ विरोध में...कुछ नामितों के समर्थन में, कुछ नामितों के विरोध में...एक नामित, दूसरे नामित के विरोध में....और जो इनमें से कुछ नहीं, वो भी चिंतित है...हिंदी ब्लॉगिंग के इतिहास को लेकर... सुनहरे भविष्य को लेकर...हाय ऐसे ही हो-हल्ला मचता रहा तो बाहर वाले क्या सोचेंगे...कैसे होगा हिंदी का उत्थान...
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हिंदी ब्लॉग जगत बहुत दिनों से हाइबरनेशन यानि शीतनिद्रा में था...भला हो जर्मन डायचे वेले का जो इसने शीतनिद्रा को भंग किया...लगता है हर ब्लॉगर तरकश के सारे तीरों के साथ उठ खड़ा हुआ है...कुछ पुरस्कारों के समर्थन में, कुछ विरोध में...कुछ नामितों के समर्थन में, कुछ नामितों के विरोध में...एक नामित, दूसरे नामित के विरोध में....और जो इनमें से कुछ नहीं, वो भी चिंतित है...हिंदी ब्लॉगिंग के इतिहास को लेकर... सुनहरे भविष्य को लेकर...हाय ऐसे ही हो-हल्ला मचता रहा तो बाहर वाले क्या सोचेंगे...कैसे होगा हिंदी का उत्थान...