अभी तक यह समझ से बाहर की बात है कि २००८ की तेजी मे जो सत्यम ६०० रुपये की ऊंचाई पर था वो ९ जनवरी २००९ को सिर्फ़ ६. ३० का न्युनतम भाव यानि शुद्ध रुप से उसकी कीमत १ प्रतिशत रह गई.
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यह भाषा शुद्ध रुप से भारतीय उपमहाद्वीप में मुसलमानों के आगमन के पश्चयात ही विकसित हुई जिसमें कालान्तर में देवनागरी के शब्दों का प्रचलन-संमिश्रण भी वैसे-वैसे बढ़ा जैसे-जैसे इसका असर और रसूख समाज के दूसरे इदारों में बढ़ा और इसे समाजिक स्वीकृति मिली.
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इसी निबंध में उन्होने लिखा है-“.... मुख्य चीज उसके लिए यह नहीं है कि ये शुद्ध रुप से मानवीय संबंध मौजूद हैं, बल्कि मुख्य चीज यह है कि एक नए, सच्चे धर्म के रूप में उन्हे स्थापित कर दिया जाय।
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यह भाषा शुद्ध रुप से भारतीय उपमहाद्वीप में मुसलमानों के आगमन के पश्चयात ही विकसित हुई जिसमें कालान्तर में देवनागरी के शब्दों का प्रचलन-संमिश्रण भी वैसे-वैसे बढ़ा जैसे-जैसे इसका असर और रसूख समाज के दूसरे इदारों में बढ़ा और इसे समाजिक स्वीकृति मिली.
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यह एक पारस्परिक सौहाद्र एवम ज्ञान मे वृद्धि करने के लिये आयोजन है! अगर कोई बिना हेट्रिक, लगातार कुल ५ पहेली जीत लेगा तो उसे भी सम्मान सर्टिफ़िकेट दिया जायेगा! ध्यान रहे कि यह शुद्ध रुप से जानकारी बढाने वाली पहेली है!
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अपने घर से पचास किलोमीटर की दूरी पर हॉस्पीटल का शिलान्यास करने के बाद संस्थापक के घर पर शुद्ध रुप से शुद्ध बिहारी खाना खाना और बगल के नुक्कड़ से पान की लेकर मुंह में चबाना और फिर अपने सफर पर निकल जाना बहुत ही आनंददायक अनुभव रहा।
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भारत में उर्दू ज़ुबान पर मुलायम सिंह यादव जैसे नेताओं ने अपनी रोटियाँ सेक-सेक कर इसे शुद्ध रुप से सांप्रदायिक प्रश्न बना दिया है, जितना प्रचार उर्दू के नाम पर किया जाता है उससे अधिक गति से “हिंदी-हिंदू-हिंदुस्तान” शहर, कस्बों और गांवों की दीवारों पर पुता दिखाई देता है.
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सॉलिड स्टेट (सेमी कण्डक्टर) इलैक्ट्रानिकी सिलिकॉन और जर्मेनियम में जो शुद्ध रुप से विद्युत का कुचालक है, दस लाख अणुओं के पीछे एक अणु दूसरे विशेष तत्व को मिला देने पर भी विद्युत धारा के अर्धसंचालक बन जाते हैं अर्थात् इनमें एक ही दिशा में करेंट प्रवाहित हो सकता है।
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भारत में उर्दू ज़ुबान पर मुलायम सिंह यादव जैसे नेताओं ने अपनी रोटियाँ सेक-सेक कर इसे शुद्ध रुप से सांप्रदायिक प्रश्न बना दिया है, जितना प्रचार उर्दू के नाम पर किया जाता है उससे अधिक गति से “ हिंदी-हिंदू-हिंदुस्तान ” शहर, कस्बों और गांवों की दीवारों पर पुता दिखाई देता है.
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इस ब्लाग के माध्यम से हमारा अपने उन सभी साथियों से अनुरोध है जो शुद्ध रुप से साहित्य के छात्र न होते हुए साहित्य कर्म में जुटे है कि वे अपने मूल विषय को केन्द्र में रखकर समकालीन समाज की व्याख्या करते हुए ऐसी रचनाओं के साथ भी प्रस्तुत हों जो कहानी कविता से इतर अन्य विधाओं में भी उन मूल विषयों पर आधारित हो।