| 41. | प्रतीत्य समुत्पाद के इसी विच्छिन्न प्रवाह को लेकर आगे नागार्जुन ने अपने शून्यवाद को विकसित किया।”
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| 42. | कमलबुद्धि शून्यवाद के प्रमुख आचार्य बुद्धपालत तथा आचार्य भावविवेक (भावविवेक या भव्य) के पट्ट शिष्य थे।
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| 43. | प्रतीत्य समुत्पाद के इसी विच्छिन्न प्रवाह को लेकर आगे नागार्जुन ने अपने शून्यवाद को विकसित किया।
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| 44. | भगवान बुध्द के अपने शिक्षापदों में तो शून्यवाद का समर्थन करने वाला कोई सिध्दांत नहीं मिलता।
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| 45. | काहे न प्रयोग करेंगी आप शून्य पर आखिर शून्यवाद भारतीय दर्शन का चरम उत्कर्ष है ।
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| 46. | यह नीत्शे के अध्यात्मवाद की शून्यवाद (नाइलिज़्म) के ऊपर विजय नहीं है अपितु इसकी सटीकता है.
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| 47. | सोरेन कियर्केगार्ड (1813-1855) ने शुरूआती शून्यवाद (नाइलिज़्म) की आधारशिला रखी जिसे वह लेवलिंग (समता/बराबरी) कहता था.
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| 48. | नागार्जुन के अनंतर शून्यवाद के प्रमुख प्रतिपादकों में आर्यदेव, भावविवेक, बुद्धपालित एवं चंद्रकीर्ति के नाम उल्लेखनीय हैं।
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| 49. | ओशो का बोध बुद्ध के शून्यवाद या वेदांत के अद्वैतवाद के ही निकट नज़र आता है..
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| 50. | इस तरह, ईसाई धर्म का स्वयंभू विघटन शून्यवाद (नाइलिज़्म) के एक और प्रारूप का निर्माण करता है.
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