इसलिये मुझ पर हंसने से पहले तुम्हें मुलायम राज का शोक मनाना चाहिये और आत्म मंथन करना चाहिये कि जिस मुलायम के शासन काल में बलात्कार, रंगदारी, अवैध वसूली, अपहरण, आतंकवाद को संरक्षण देना चर्मोत्कर्ष पर था, उसी गुण्ड़ाराज को उत्तर-प्रदेश की जनता ने दुबारा क्यों चुना???? क्या वजह है कि मायावती अपनी हार की वजह मुसलिम मतदाताओं को मान रही हैं.
42.
मैं इस्लाम का कोई जानकार नहीं पर मजारों, दरगाहों, पक्की कब्रों, रोजा अफतार के समय, नमाज पढ़ने के तरीके, बारात में बैंड बाजा, ७ ८ ६, आखिरी रसूल, मोहर्रम का शोक मनाना, मृतक को सुपुर्दे खाक करने के पहले की जाने वाली रस्में आदि आदि जिन बातों पर आपको आपत्ति है उस पर उन लोगों के भी तो कुछ तर्क होते होंगे...
43.
अब तुम ये शोक मनाना छोडो और भांग घोटने का प्रबंध करो! कहां के महलों के निर्माण मे तुमने उलझा दिया कि आज इतना समय हो गया तुम्हारे हाथ की भांग भी नसीब नही हुई! और तुमको मालूम है मुझे तुम्हारे सिवाय किसी और के हाथ की घोटी हुई भांग मे मजा नही आता! माता पार्वती ने सजल नेत्रों से भोलेनाथ की तरफ़ देखते हुये कहा-हम महल मे क्यूं नही रह सकते? हमने और हमारे बच्चों ने क्या अपराध किया है?
44.
दोस्तो मुझे यह गाना बहुत पसंद है काफी पुराना है, शायद यह मेरी लाइफ पे सटीक बैठता मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया हर फिक्र को धुए मे उड़ाता चला गया मैं ज़िंदगी……………….. बरबादियो का शोक मनाना फ़िज़ूल था, मनाना फ़िज़ूल था बरबादियो का जशन मनाता चला गया मैं ज़िंदगी……………….. जो मिल गया उसी को मुक़द्दर समझ लिया,मुक़द्दर समझ लिया जो खो गया मैं उसको भुलाता चला गया,मैं ज़िंदगी………………. गम और खुशी मैं फर्क ना महसूस हो जहा,महसूस हो जहा मैं दिल को उस मुक़ाम पे लाता चला गया मैं ज़िंदगी………………. ***************
45.
मुझे इस बात की भी बहुत फिक्र होती है कि जब लोग यह बताते हैं कि उन के बच्चे दालों, सब्जियों से दूर भागते हैं-यह अपने आप में एक बहुत ही ज़्यादा दुर्भाग्यपूर्ण बात है-यह एक ऐसी बात है कि जिस के लिये इन बच्चों के मां-बाप को शोक मनाना चाहिये क्योंकि ऐसे अधिकांश केसों में ऐसा होता है कि इस तरह के बच्चे बड़े होकर भी फिर पिज़्जा, बर्गर, हॉट-डॉग, हाका-नूडल्स पर ही पलते हैं और तरह तरह की शारीरिक व्याधियों के शिकार हुये रहते हैं।