इसके अतिरिक्त चार संघर्षी ध्वनियां अरबी फारसी शब्दों के माध्यम से हिन्दी में आकर अब हिन्दी की ध्वनि व्यवस्था का अंग बन चुकी हैं।
42.
तालव्य अघोष संघर्षी व्यंजन के एक अतिरिक्त सहस्वन के रूप में अपेक्षाकृत दृढ़संघर्षी भी होता है जिसे [स् '] चिन्ह द्वारा चिन्हित किया जा सकता है.
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तालव्य अघोष संघर्षी व्यंजन के एक अतिरिक्त सहस्वन के रूप में अपेक्षाकृत दृढ़संघर्षी भी होता है जिसे [स् '] चिन्ह द्वारा चिन्हित किया जा सकता है.
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ये ध्वनियां हैं-फ़द्वयोष्ठ्य संघर्षी व्यंजन स्वनिम / ङ्/, ज़ जो कि दंत्य ध्वनि स का ही सघोष रूप है/ॅ/और कंठ्य ध्वनियां ख़/द्/अघोष कंठ्य संघर्षी, और इसी का सघोष ध्वनि रूप ग़.
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ये ध्वनियां हैं-फ़द्वयोष्ठ्य संघर्षी व्यंजन स्वनिम / ङ्/, ज़ जो कि दंत्य ध्वनि स का ही सघोष रूप है/ॅ/और कंठ्य ध्वनियां ख़/द्/अघोष कंठ्य संघर्षी, और इसी का सघोष ध्वनि रूप ग़.
46.
संस्कृत के अघोष संघर्षी व्यंजन (ऊष्म) स्, ष्, श् में से मागधी में श् का तथा अर्द्धमागधी एवं शौरसेनी में स् का प्रयोग होता है।
47.
इस वर्ग की प्राचीन भाषाओं में आदि-हिन्द-यूरोपीय भाषा के व्यंजन: क्य, ग्य और घ्य, स्पर्श-संघर्षी या संघर्षी व्यंजनों में बदल गये, जैसे: च, ज, स, और श ।
48.
इस वर्ग की प्राचीन भाषाओं में आदि-हिन्द-यूरोपीय भाषा के व्यंजन: क्य, ग्य और घ्य, स्पर्श-संघर्षी या संघर्षी व्यंजनों में बदल गये, जैसे: च, ज, स, और श ।
49.
संस्कृत में ' ष ' को ' श ' और ' ख़ ' के बीच की एक ध्वनि समझा जा सकता है (यह तीनों ही संघर्षी वर्ण हैं) ।
50.
भारंगम में देखें तो यह जो संघर्षी रंगमंच है जो अपनी परिस्थितियों के बीच विकसित हो रहा है को उतना मौका नहीं दिया जाता जितना कार्यशालाओं में चल रहे उत्पादित रंगमंच को.