इस संलेख के कथानकों का काल यह मानकर निर्धारित किया गया है कि सिकंदर का भारत पर आक्रमण ३२३ ईसापूर्व में हुआ जिसे आज विश्व स्तर पर सत्य माना जाता है.
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जल का मानव जीवन में क्या महत्व है और इसके अभाव से हमारे शरीर को क्या शातियाँ हो सकती हैं-इनके बारे में इस संलेख के कुछ पूर्व आलेख समर्पित हैं.
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अतः मैंने तत्कालीन सरस्वती नदी के मार्ग और महाभारत स्थल खोजने के लिए पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की व्यापक पदयात्राएं कीं और उन्हें पाया जिसका उल्लेख में फिर कभी इसी संलेख में करूंगा.
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आर्य विवाद इस बहु-चर्चित विवाद के बारे में मैं अभी यही कहूँगा कि इसकी सच्चाई अभी सामने आयी ही नहीं है जो इस संलेख में प्रसंग आने पर स्पष्ट रूप से दर्शाई जायेगी.
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संलेख भी साहित्य की तरह ही लेखन के उत्पाद होते हैं और इनका उपयोग पठन के लिया किया जाता है, इसलिए इन्हें भाषा विकास के आधुनिक साधन कहा जा सकता है.
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इस संलेख में देश की व्यवस्था के लिए रूपरेखा दी गयी है जिसपर गंभीर विचार मंथन की आवश्यकता है और भारत भविष्य निर्माण के लिए सार्थक कदम उठाये जाने की आवस्यकता है.
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आर्य विवाद इस बहु-चर्चित विवाद के बारे में मैं अभी यही कहूँगा कि इसकी सच्चाई अभी सामने आयी ही नहीं है जो इस संलेख में प्रसंग आने पर स्पष्ट रूप से दर्शाई जायेगी.
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अनिल वर्मा द्वारा लिखी गयी यह संभवत: पहली ऐसी पुस्तक है, जो उनके जीवनका प्रामाणिक संलेख (दस्तावेज) होनेके साथ-साथ स्वतंत्रता संघर्ष और स्वतंत्रताके पश्चात जीवन संघर्षको उजागर करती है ।
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इस संलेख के कथानकों का काल यह मानकर निर्धारित किया गया है कि सिकंदर का भारत पर आक्रमण ३ २ ३ ईसापूर्व में हुआ जिसे आज विश्व स्तर पर सत्य माना जाता है.
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कैबिनेट के संलेख को देखें तो इस बात का खास जिक्र किया गया है कि तीन राज्यों बिहार, उड़ीसा और कर्नाटक में बिवरेज कारपोरेशन बना तो किस कदर राजस्व में दोगुनी वृद्धि हुई है।