करार के अंतर्गत निवेश को प्रत्येक प्रकार की परिसंपत्ति के रूप में परिभाषित किया गया है जो उस संविदाकारी पक्ष जिसके राज्य क्षेत्र में निवेश किया गया है के राष्ट्रीय कानूनों के अनुसार स्थापित अथवा अधिग्रहीत की गई हो, जिसमें ऐसे निवेश के स्वरूप में परिवर्तन किया जाना भी शामिल है।
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जब कोई संविदाकारी पक्ष निष् पादन करने से इंकार कर दे या निष् पादन करने में अक्षम हो, तो इसका अर्थ संविदा-भंग करना होता है और प्रतिज्ञानी संविदा को परे हटा सकता है जब तक कि उसने ही अपने शब् दों या आचरण से उसे जारी रखने का इरादा न जताया हो।
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करार के अंतर्गत निवेश को प्रत् येक प्रकार की परिसंपत्ति के रूप में परिभाषित किया गया है जो उस संविदाकारी पक्ष जिसके राज् य क्षेत्र में निवेश किया गया है के राष् ट्रीय कानूनों के अनुसार स् थापित अथवा अधिग्रहीत की गई हो, जिसमें ऐसे निवेश के स् वरूप में परिवर्तन किया जाना भी शामिल है।