इसके अनुसार पिछले दिनों भारत की संवृद्धि दर एशिया की कुछ सबसे तेज़ विकसित हो रही अर्थव्यवस्थाओं के समकक्ष 8 फ़ीसदी रही लेकिन यहां शहरीकरण की वृद्धि दर 28 फ़ीसदी रही जो एशिया की औसत शहरीकरण वृद्धि दर से कम रही।
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इसके अनुसार पिछले दिनों भारत की संवृद्धि दर एशिया की कुछ सबसे तेज़ विकसित हो रही अर्थव्यवस्थाओं के समकक्ष 8 फ़ीसदी रही लेकिन यहां शहरीकरण की वृद्धि दर 28 फ़ीसदी रही जो एशिया की औसत शहरीकरण वृद्धि दर से कम रही।
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सचाई यह है कि नव्बे के दशक से शुरू हुए, नव-उदारवादी आर्थिक नीतियों के दौर में, एक ओर अगर संवृद्धि दर ऊपर चढ़ती गयी है, तो दूसरी ओर प्रति व्यक्ति खाद्यान्न उपलब्धता करीब-करीब लगातार ही, नीचे खिसकती गयी है।
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२ ०० ४-० ५ से २ ०० ९-१ ० के इस दौर में जब देश की आर्थिक संवृद्धि दर ९-१ ० % के ऊंचे स्तर पर रही तो देश के भीतर श्रमशक्ति की यह नगण्य वृद्धि आर्थिक संवृद्धि के साथ रोज़गार के अपने-आप बढ़ने के तर्क पर आरंभिक प्रश्चिन्ह खड़े करती है.
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तभी तो विनिर्माण क्षेत्र में सकल घरेलू उत्पाद की संवृद्धि दर में भारी वृद्धि के बरक्स नकारात्मक बढ़त के बावजूद यह दिवास्वप्न दिखाया जा रहा है कि ‘ विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार सृजन की दर इस गति से बढाई जानी चाहिए कि वर्ष २ ० २ ५ में इस क्षेत्र में १ ०० मिलियन अतिरिक्त नौकरियाँ उपलब्ध हों ' (पेज ११ ०).
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देखा जाय तो भारत में ही नहीं दुनिया भर के पूंजीवादी देशों में अलग से रोज़गार, खासतौर पर उचित तथा सम्मानजनक रोज़गार पैदा करने के लिए अलग से कोई नीति बनाने की जगह सारा जोर ऎसी नीतियों पर रहा जिनमें यह मान्यता थी कि यदि अर्थव्यवस्था की संवृद्धि दर को बढ़ा दिया जाए (जिसके लिए निजी पूँजी के विकास पर जोर दिया गया) तो रोज़गार सृजन अपने-आप हो जाएगा.