य एक स्वनिम है और बस्वनिम के उपस्वनों के रूप में एक ओर दंत्योष्ठ्य संघर्षी, सघोष ध्वनि है तोदूसरी ओर द्वयोष्ठ्य अर्धस्वर है जिन्हें उपस्वनों के रूप में इस प्रकार दिखायाजा सकता है [त्.
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य एक स्वनिम है और ब स्वनिम के उपस्वनों के रूप में एक ओर दंत्योष्ठ्य संघर्षी, सघोष ध्वनि है तो दूसरी ओर द्वयोष्ठ्य अर्धस्वर है जिन्हें उपस्वनों के रूप में इस प्रकार दिखाया जा सकता है 5।
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इनमें शामिल हैं ग्रसनी और बलाघाती व्यंजन, सघोष और अघोष विराम, अघोष संघर्षी और सघोष और अघोष स्पर्श-संघर्षी. इसमें तीन लंबे और तीन छोटे स्वर हैं, जो परवर्ती मिस्र में लगभग नौ तक विस्तृत हुए.
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इनमें शामिल हैं ग्रसनी और बलाघाती व्यंजन, सघोष और अघोष विराम, अघोष संघर्षी और सघोष और अघोष स्पर्श-संघर्षी. इसमें तीन लंबे और तीन छोटे स्वर हैं, जो परवर्ती मिस्र में लगभग नौ तक विस्तृत हुए.
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ये ध्वनियां हैं-फ़ द्वयोष्ठ्य संघर्षी व्यंजन स्वनिम / ङ्/,ज़ जो कि दंत्य ध्वनि स का ही सघोष रूप है /ॅ/ और कंठ्य ध्वनियां ख़ /द्/ अघोष कंठ्य संघर्षी, और इसी का सघोष ध्वनि रूप ग़।
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ये ध्वनियां हैं-फ़ द्वयोष्ठ्य संघर्षी व्यंजन स्वनिम / ङ्/,ज़ जो कि दंत्य ध्वनि स का ही सघोष रूप है /ॅ/ और कंठ्य ध्वनियां ख़ /द्/ अघोष कंठ्य संघर्षी, और इसी का सघोष ध्वनि रूप ग़।
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य एक स्वनिम है और ब स्वनिम के उपस्वनों के रूप में एक ओर दंत्योष्ठ्य संघर्षी, सघोष ध्वनि है तो दूसरी ओर द्वयोष्ठ्य अर्धस्वर है जिन्हें उपस्वनों के रूप में इस प्रकार दिखाया जा सकता है [त्।
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ये ध्वनियां हैं-फ़ द्वयोष्ठ्य संघर्षी व्यंजन स्वनिम / ङ्/,ज़ जो कि दंत्य ध्वनि स का ही सघोष रूप है /ॅ/ और कंठ्य ध्वनियां ख़ /द्/ अघोष कंठ्य संघर्षी, और इसी का सघोष ध्वनि रूप ग़।
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ये ध्वनियां हैं-फ़ द्वयोष्ठ्य संघर्षी व्यंजन स्वनिम / ङ्/,ज़ जो कि दंत्य ध्वनि स का ही सघोष रूप है /ॅ/ और कंठ्य ध्वनियां ख़ /द्/ अघोष कंठ्य संघर्षी, और इसी का सघोष ध्वनि रूप ग़।
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शुरुआत में कुछ छोटे बदलाव हुए, उससे जो लिपि बनी उसे अब तमिल ब्राह्मी कहते हैं, इसमें कुछ अन्य भारतीय लिपियों के मुकाबले कहीं कम अक्षर हैं क्योंकि इसमें अलग से महाप्राण या सघोष व्यंजन नहीं हैं।