| 41. | यद्यपि बसत है सजनी, लाख़ों लिग ।
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| 42. | हेय्य्य सजनी को दार बोले, थारी को बीर बोले
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| 43. | विरह विथा कासूं कहूं सजनी, बह गई करवत ऐन।
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| 44. | सोच रही सजनी काहे नहीं ऐसै मोर भाग जाग!!
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| 45. | धन धन भाग हमारे सजनी बालम मोरे घर आए
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| 46. | सजनी को अपने बलम पर नाज़ है।
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| 47. | सजनी ससि में समसील उभै नवनील सरोरुह-से बिकसे ॥
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| 48. | सजनी बिन घूंघट के शोभत नाहीं रे।
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| 49. | सजनी को अपने बलम पर नाज़ है।
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| 50. | ८५६. सजनी के धन भइल, तर ऊँपर मन भइल।
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