अभी तुम्हे एक लिंक दिया है, आदि गुरु शंकराचार्य ने इस्लाम / कुरान के सत्य का आभास किया, अगर तुम जरा भी IQ रखते हो तो तुम्हे मालूम होगा कि ११ वी शताब्दी मे जन्मे शंकराचार्य हिन्दु धर्म के अद्वैतवाद के प्रवर्तक थे।
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मुझको अब सत्य का आभास हो गया है / तेरे सिद्धान्त-दर्शन पर विश्वास हो गया है/समझकर तेरी हर बातों का आशय / हो गया ऐ वत्स, तुझसे मैं पराजय/मेरे जीवन का हुआ तेरे दर्शन से अरूणोदय/लिखे हुए थे बेहिचक लज्जित मजिस्ट्रेट महोदय-।
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मुझको अब सत्य का आभास हो गया है / तेरे सिद्धान्त-दर्शन पर विश्वास हो गया है / समझकर तेरी हर बातों का आशय / हो गया ऐ वत्स, तुझसे मैं पराजय / मेरे जीवन का हुआ तेरे दर्शन से अरूणोदय / लिखे हुए थे बेहिचक लज्जित मजिस्ट्रेट महोदय-।
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ये अनुभूति उन्हें ही होती है जो दूसरों की सँवेदनायें मेह्सूस करते हैं और भगवान कीसत्ता मे आस्था रखते हैं उन्हें भगवान जीवन के सत्य का आभास देता है ताकि वो दुनिया को बता सकें कि भगवान की सत्ता मे कितना सुख है ध्यान मे भी आदमी इसी सुख का अनुभव करता है आभार्
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इस से इस सत्य का आभास हुआ है कि कानूनी तौर पे मजबूती के बावजूद आज की परिस्थितियों में सच को भी सच साबित करने के लिए एकजुटता, संगठन और प्रभावी प्रस्तुतीकरण जरुरी है और अब हम समय के साथ, सही रास्ते पर चल पड़े हैं और मंजिल मिलना भी तय है.
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शोर में छुपे सन्नाटे और संगीत में छुपी शान्ति को? शायद इसी अनुभव को बोध कहते हैं, जब हमें अपने भीतर छुपे सत्य का आभास होता है शायद यही आभास एक प्रेमी को प्रेम करने में भी होता है जब आप अनकही बातों को भी सुन लेते हैं और हवाओं में भी संगीत सुनाई देता है....
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साही के ‘ लघुमानव के बहाने हिन्दी कविता पर एक बहस ' की प्रशस्ति में लिख गए एक लेख की इन पंक्तियों में एक ऐतिहासिक सत्य का आभास स्पष्ट है-‘‘ होरी और उसके बाद जो नई पीढ़ी आई, कविता में, गद्य में, उसके सबके सब सदस्य प्रो. मेहता द्वारा शिक्षित होरी के मानसपुत्र हैं।
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इसमें रखा सामान उसकी सहूलियत के लिए है और उसकी झलक मानव को भी मिलती ही-संदूक के रूप में और थैले अदि के रूप में भी. जिस दिन उसका काम हो जायेगा सत्य का आभास हो जायेगा या ब्रम्हा जी सो जायेंगे और बक्सा बंद हो जायेगा-फिर से खुलने के लिए उनके जागने पर.
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तो प्राकृतिक परिघटनाओं के मामले में नियमसंगतता को समझने के बाद उनकी नियमों के अंतर्गत तयशुदा नियति से ऐसे भ्रामिक वक्तव्य निकाले जा सकते हैं जिनसे सत्य का आभास भी होता है और जो भ्रमों को और बढा़कर काल्पनिक कपोल कल्पनाओं के नये नये द्वार खोल सकता हो, जैसे यह कथन या निष्कर्ष जो कि यहां निकाला गया है कि सब कुछ पूर्व नियत है और हर चीज़ का एक निश्चित भविष्य है।