ये अखाड़ा है दकियानूसी बे-सिर पैर की बातें सिर्फ कबाड़ा हैं क्योंकि किसी का झंडा बिना उखाड़े अपना झंडा गाड़ा है ये अखाड़ा है सो दे दो लगाम मान्यवर अनाम ये सनाम का पहाड़ा है, ये अखाड़ा है...
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तो सनाम के पहाड़े की चंद लाइनें अर्ज़ कर रहा हूं-ये अखाड़ा हैदकियानूसी बे-सिर पैर की बातें सिर्फ कबाड़ा हैंक्योंकि किसी का झंडा बिना उखाड़ेअपना झंडा गाड़ा हैये अखाड़ा हैसो दे दो लगाम मान्यवर अनामये सनाम का पहाड़ा है, ये अखाड़ा है...
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तो सनाम के पहाड़े की चंद लाइनें अर्ज़ कर रहा हूं-ये अखाड़ा हैदकियानूसी बे-सिर पैर की बातें सिर्फ कबाड़ा हैंक्योंकि किसी का झंडा बिना उखाड़ेअपना झंडा गाड़ा हैये अखाड़ा हैसो दे दो लगाम मान्यवर अनामये सनाम का पहाड़ा है, ये अखाड़ा है...
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बुखार के नामकृष्ण के नाम के पहले राधा नामलड़की के शरीर के अंग के नामबच्चो के नाम नाम अ सेबच्चो के नाम नामछ नाम से बच्चों के नामनाम बच्चों के नाम बताये सनाम के अनुसार फर्म का नामनए बच्चो के नाम नामनाम बच्चों के नाम बताये ज
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सुनिए आप सब अनाम सनाम महाशयों! अब तो आप सब की ही तरह इस नारीवादी औरतवादी नारेबाजी-बहसबाजी से मैं भी तंग आ चुकी हूं! आप सब सही कह रहे हैं ये इंकलाबी ज़ज़्बा हम सब औरतों के खाली दिमागों और नाकाबिलियत का धमाका भर है बस! हम बेकार में दुखियारी बन
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सुनिए आप सब अनाम सनाम महाशयों! अब तो आप सब की ही तरह इस नारीवादी औरतवादी नारेबाजी-बहसबाजी से मैं भी तंग आ चुकी हूं! आप सब सही कह रहे हैं ये इंकलाबी ज़ज़्बा हम सब औरतों के खाली दिमागों और नाकाबिलियत का धमाका भर है बस! हम बेकार में दुखियारी बन...
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सुनिए आप सब अनाम सनाम महाशयों! अब तो आप सब की ही तरह इस नारीवादी औरतवादी नारेबाजी-बहसबाजी से मैं भी तंग आ चुकी हूं! आप सब सही कह रहे हैं ये इंकलाबी ज़ज़्बा हम सब औरतों के खाली दिमागों और नाकाबिलियत का धमाका भर है बस! हम बेकार में दुखियारी बनी फिर रही हैं!
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सुनिए आप सब अनाम सनाम महाशयों! अब तो आप सब की ही तरह इस नारीवादी औरतवादी नारेबाजी-बहसबाजी से मैं भी तंग आ चुकी हूं! आप सब सही कह रहे हैं ये इंकलाबी ज़ज़्बा हम सब औरतों के खाली दिमागों और नाकाबिलियत का धमाका भर है बस! हम बेकार में दुखियारी बनी फिर रही हैं!
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सुनिए आप सब अनाम सनाम महाशयों! अब तो आप सब की ही तरह इस नारीवादी औरतवादी नारेबाजी-बहसबाजी से मैं भी तंग आ चुकी हूं! आप सब सही कह रहे हैं ये इंकलाबी ज़ज़्बा हम सब औरतों के खाली दिमागों और नाकाबिलियत का धमाका भर है बस! हम बेकार में दुखियारी बनी फिर रही हैं!
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सनाम सामने नहीं आना चाहता उसकी तर्कसंगत बात को यूँ ही नकार देना महज तकनीकी आधार पर मामला खारिज करने जैसा है. अनाम और अज्ञात का डर वहाँ होना चाहिए जहाँ कुछ लोभ-लाभ की बात हो यहाँ तो सब मौज कर रहे हैं, फिर उनसे घबराना कैसा?मेरे ख़याल में किसी पर कायर, हरामी, उत्पाती, ग़ैर-ज़िम्मेदार जैसी बिल्ला चिपकाने के बदले उनका तर्कसंगत प्रतिकार करना एक बेहतर उपाय है (अगर आपको लगता है कि उनकी बात में कुछ दम है.