यह एक अत्यंत विस्मयकारी आधुनिक विज्ञान के अनुरूप सत्य है जिसे हमारे ऋषियो ने सपिण्ड विवाह निषेध कर के बताया था.
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यह एक अत्यंत विस्मयकारी आधुनिक विज्ञान के अनुरूप सत्य है जिसे हमारे ऋषियो ने सपिण्ड विवाह निषेध कर के बताया था.
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सपिण्ड का अर्थ है (1) वे जिनके शरीर का पिण्ड एक समान हैं तथा (2) वे जो मृत पूर्वज को एक साथ पिण्ड दान करते हैं।
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हिंदू विवाह अधिनियम 1955 सामान्यत: सपिण्ड अन्तर्विवाह की इजाजत नहीं देता, परन्तु दक्षिण भारत में प्रचलित ममेरे-फुफेरे भाई बहनों को भी प्रथागत रूप में अपवाद स्वरूप स्वीकार करता है।
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सपिण्ड का अर्थ है (1) वे जिनके शरीर का पिण्ड एक समान हैं तथा (2) वे जो मृत पूर्वज को एक साथ पिण्ड दान करते हैं।
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हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 पिता की तरफ से पांच पीढ़ियों एवं माता की तरफ से तीन पीढ़ियों तक सपिण्ड संबंध से जुड़े व्यक्तियों के बीच वैवाहिक संबंध की स्वीकृति नहीं देता।
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हिंदू विवाह अधिनियम 1955 सामान्यत: सपिण्ड अन्तर्विवाह की इजाजत नहीं देता, परन्तु दक्षिण भारत में प्रचलित ममेरे-फुफेरे भाई बहनों को भी प्रथागत रूप में अपवाद स्वरूप स्वीकार करता है।
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सपिण्ड (सगे बहन भाइ) के विवाह निषेध के बारे में ऋग्वेद 10वें मण्डल के 10वें सूक्त मे यम यमि जुडवा बहन भाइ के सम्वाद के रूप में आख्यान द्वारा उपदेश मिलता है.
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हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 पिता की तरफ से पांच पीढ़ियों एवं माता की तरफ से तीन पीढ़ियों तक सपिण्ड संबंध से जुड़े व्यक्तियों के बीच वैवाहिक संबंध की स्वीकृति नहीं देता।
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सपिण्ड (सगे बहन भाइ) के विवाह निषेध का उपदेश, ऋग्वेद 10वें मण्डल के 10वें सूक्त मे यम यमि जुडवा बहन भाइ के सम्वाद के रूप में एक आख्यान द्वारा मिलता है.