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समकोण त्रिभुज उदाहरण वाक्य

उदाहरण वाक्य
41.हमारे पूर्वजों के इस ज्ञान को ग्रीक दार्शनिक तथा गणितज्ञ पैथागोरस अपने शब्दों में इस प्रकार कहते हैं कि किसी समकोण त्रिभुज के कर्ण का वर्ग उस त्रिभुज की अन्य दो भुजाओं के वर्गों के योग के बराबर होता है।

42.की खोज का श्रेय दिया जाता है, ज्यामिति में एक प्रमेय जो स्थापित करती है की एक समकोण त्रिभुज में विकर्ण स (समकोण के सामने वाली भुजा)का वर्ग अन्य दो भुजाओं ब और अ के वर्ग के योग के बराबर होता है.अर्थात

43.ईसा से लगभग 600 वर्ष पूर्व रोम के गणितज्ञ पिथागोरैस ने इस संबंध का बड़े तर्कपूर्ण ढंग से अध्ययन किया और यह बताया कि एक समकोण त्रिभुज में कर्ण पर का वर्ग अन्य भुजाओं के ऊपर वर्गों के योगफल के बराबर होता है।

44.ईसा से लगभग 600 वर्ष पूर्व रोम के गणितज्ञ पिथागोरैस ने इस संबंध का बड़े तर्कपूर्ण ढंग से अध्ययन किया और यह बताया कि एक समकोण त्रिभुज में कर्ण पर का वर्ग अन्य भुजाओं के ऊपर वर्गों के योगफल के बराबर होता है।

45.त्रिभुजों और बहुभुजों की भुजाओं की लम्बाई और दो भुजाओं के बीच के कोणों का अध्ययन करने का मुख्य आधार यह है कि समकोण त्रिभुज की किन्ही दो भुजाओं (आधार, लम्ब व कर्ण) का अनुपात उस त्रिभुज के कोणों के मान पर निर्भर करता है।

46.त्रिभुजों और बहुभुजों की भुजाओं की लम्बाई और दो भुजाओं के बीच के कोणों का अध्ययन करने का मुख्य आधार यह है कि समकोण त्रिभुज की किन्ही दो भुजाओं (आधार, लम्ब व कर्ण) का अनुपात उस त्रिभुज के कोणों के मान पर निर्भर करता है।

47.यदि यह धरती के मध्य विन्दु से किसी ध्रुव के साथ समकोण त्रिभुज बनाता है तों दूसरी तरफ विषमबाहु त्रिभुज के शीर्ष पर बनने वाले विन्दु के इर्द गिर्द वाले भूखंड भूकंप, उग्र बाढ़प्रकोप एवं बादल फटने के परिणाम स्वरुप भयंकर हानि का सामना करते है.

48.त्रिभुजों और बहुभुजों की भुजाओं की लम्बाई और दो भुजाओं के बीच के कोणों का अध्ययन करने का मुख्य आधार यह है कि समकोण त्रिभुज की किन्ही दो भुजाओं (आधार, लम्ब व कर्ण) का अनुपात उस त्रिभुज के कोणों के मान पर निर्भर करता है।

49.किन्तु मुकुट से आधार पर बनने वाला त्रिभुज मंदिर क़ी बाहरी दीवारों से समकोण त्रिभुज क़ी रचना करे तों मध्यवर्ती मुकुट का उभार जो आपाती किरण आधार पर डालेगा वह सीधे ब्रह्मरंध्र (Centrifugal Armature) यदि उसके आपतन क्षेत्र में है तों उसे अनावृत्त कर देता है.

50.शतपथ ब्रह्मण और तैतरीय संहिता मे भी समकोण त्रिभुज प्रमेय का ज्ञान मिलता है| ए. सीडेनबर्ग का तर्क है कि सम्भवतः प्रचीन बेबीलोन को समकोण त्रिभुज प्रमेय का ज्ञान भारत से मिला अथवा प्रचीन बेबीलोन और भारत, दोनो को यह किसी तीसरे स्रोत से मिला| उनके अनुसार यह तीसरा स्रोत सुमेर सभ्यता (1700

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