मनुस्मृति (9 / 13) में कहा गया है कि पुत्री को पुत्र के समान समझना चाहिए क्योंकि जिस प्रकार आत्मा पुत्र रूप से उत्पन्न होता है, उसी प्रकार वह पुत्री के रूप में भी जन्म लेती है ।
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इसलिए पहले श्री अर्थात जीवन के आवश्यकताओं की पूर्ती फिर समवर्ती अर्थात सबको समान रूप से ना सिर्फ देखना बल्कि समान समझना, समान व्यवहार करना और आखिरी में समूह याने साथ आ जाना एकत्रित हो जाना और एक साथ बढना.
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एक होता है, समदर्शी जो सबको सामान दृष्टि से देखता है, परन्तु समवर्ती समदर्शी से आगे की स्थिति है, सबको समान रूप से देखना फिर भी संभव होता है परन्तु सबको समान समझना सबसे समान व्यवहार करना सरल प्रतीत नहीं होता है.
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महासिंह यदि जीवित हो, तो आज ही जैसे बने वैसे माड़ों पहुंचा देना और यदि मर गया हो, तो दाह-क्रिया कर देना और सुन उस लोहे की सन्दूकची को अपने प्राणों के समान समझना ; परन्तु खोलकर यह न देखना कि उसमें क्या है?
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पीरी-फकीरी तथा सूंफीवाद इस्लाम के उस पक्ष की रहनुमाई करते हैं जिसमें कि सभी को समान समझना, सभी के प्रति सहिष्णुता से पेश आना तथा अल्लाह के प्रति अपनी सच्ची आस्था रखते हुए किसी दूसरे धर्म व विश्वास के अनुयाईयों का दिल न दुखाना भी शामिल है।
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यद्धपि फिल्म गाँधीजी के हरिजनोद्धार और मंदिर प्रवेश की पृष्ठभूमि पर निर्मित है, किन्तु उससे आगे जाकर वह यह भी संदेश देती है कि अछूतोद्धार सिर्फ दिखावे से नहीं होगा, अपितु सबको व्यवहार में समान समझना होगा और बराबर अवसर पाने के मौके देने होंगे।
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पीरी-फकीरी तथा सूंफीवाद इस्लाम के उस पक्ष की रहनुमाई करते हैं जिसमें कि सभी को समान समझना, सभी के प्रति सहिष्णुता से पेश आना तथा अल्लाह के प्रति अपनी सच्ची आस्था रखते हुए किसी दूसरे धर्म व विश्वास के अनुयाईयों का दिल न दुखाना भी शामिल है।
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सोनिया गाँधी ने भाजपा से जांबु और कश्मीर के शांति बनाए रखने के लिए समर्थन माँगा है येह बिल्कुल सही है लकिन भाजपा का हिदुटवा का मुद्दा ख़तम करने के लिए उनको येह ज़मीन अमरनाथ बोआर्ड को दे देनी चाहिए जिस प्रकार से अल्प संख़यों मुशल्मानों के दुष्रे प्रदेशों मे हफ़जत की जाती है उसी प्रकार जम्बू और कश्मीर मे अलपषाक्यों हिंदुओं के सोचना चाहिए ओर किश लोकतंत्रा मैं सबको समान समझना चाहिए येह देश हित मैं है और भाजपा वोटिंग कार्ड भी ख़त्म हो जाएगा.
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साधु बना शैतान, ख़बर पढ़कर बहुत दुख हुआ, आज ऐसे लो भारतीय सभ्यता और संस्कृति की कौंसी तस्वीर पेश कर रहे, ऐसे लोगो को अपराधियों के समान समझना चाहिए, और उनके लीय वैसी ही सज़ा दी जानी चाहिए, क्यकी ये देशज् बहू गंदे दलदल मे ले जा कोशिश का रहे है, ये महानता का कौंसा आचरण प्रस्तुत कर रहे हैं, कृपया उन्हे देश से निक काले पानी के नही, उत्तरी या दक्षिणी ध्रुव भेज देना चाहिए, इनको समाज का नासूर बनने से पेहले, ख़त्म कर दें चाहिए
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परन्तु इसका उद्देश्य यह नहीं है कि पड़ोसी की सहायता करने से पड़ोसी भी समय पर काम आए, अपितु इसे एक मानवीय कर्तव्य ठहराया गया है, इसे आवश्यक क़रार दिया गया है और यह कर्तव्य पड़ोसी ही तक सीमित नहीं है बल्कि किसी साधारण मनुष्य से भी असम्मानजनक व्यवहार न करने की ताकीद की गई है... । '' ‘‘... निस्सन्देह अन्य धर्मों में हर एक मनुष्य को अपने प्राण की तरह प्यार करना, अपने ही समान समझना, सब की आत्मा में एक ही पवित्र ईश्वर के दर्शन करना आदि लिखा है।