दुर्भाग्य से वैज्ञानिक उपकरणों के आविष्कार ने स्मृतिशक्ति का उपयोग सीमित कर दिया है, उसे शिथिल बना दिया है ; जब कि यह सर्वथा विदित है कि मन-बुद्धि के सर्वांगी विकास में स्मृति शक्ति का सम्यक् विकास महत्त्वपूर्ण है ।
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सर्वांगी विकास का मोदी द्वारा प्रसारित तथा प्रचारित गुजरात मोडल को न केवल विपक्षी कांग्रेस के नेताओं ने चुनौती दी है बल्कि उन्हीं के दल भाजपा के विधायक कनुभाई कलसारिया तथा मोदी मंत्रीमंडल में रह चुके गोर्धनभाई झडफिया ने भी दी है.
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अपने इकसठवें जन्म दिवस, १७ सितम्बर, से तीन दिन का उपवास कर मोदी ने यह साबित करने का प्रयास किया कि देश में उनके अलावा कोई और राजनेता ऐसा नहीं है जो सर्वधर्म समभाव के साथ-साथ सर्वांगी विकास का रास्ता दिखा सके.
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राजनीतिक-आर्थिक व्यवस्था में व्याप्त सर्वांगी भ्रष्टाचार, कार्यकारिणी, न्यायपालिका, कॉरपोरेट, मीडिया, माफिया द्वारा व्यवस्था की लूट-खसोट तथा न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ति, रोजगार, समानता तथा सामाजिक सुरक्षा को सक्रिय उद्देश्यों में स्थान नहीं दिए जाने पर भी पुस्तक के कुछ अध्याय केंद्रित हैं।
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अब यदि नरेन्द्र मोदी का त्रिअंकीय नाटक ' सद्बाव उपवास'-समभाव के साथ-साथ सर्वांगी विकास-२०१४ के आम चुनाव में 'हिट' हो जाता है तो गांव की रामलीला से अपने अभिनय की शुरुआत करने वाले नेता का दिल्ली के सिंहासन पर बैठने का सपना साकार हो सकता है.
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संज्ञानात्मक और व्यवहारवादी चिकित्सा की एक “तीसरी लहर” विकसित हुई, जिसमे अक्सेप्टेंस(स्वीकृति) और कमिटमेंट (प्रतिबद्धता) के सिद्धांत और डायालेक्टिकल बिहेवियर सिद्धांत जिसने इस सिद्धांत का विस्तार अन्य विकारों तक किया और/या इअमे नए घटक और सचेतन अभ्यासों को जोड़ा.समाधान केन्द्रित चिकित्सा और सर्वांगी प्रशिक्षण की परामर्श पद्धतियाँ विकसित हो गयीं.
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संज्ञानात्मक और व्यवहारवादी चिकित्सा की एक “तीसरी लहर” विकसित हुई, जिसमे अक्सेप्टेंस(स्वीकृति) और कमिटमेंट (प्रतिबद्धता) के सिद्धांत और डायालेक्टिकल बिहेवियर सिद्धांत जिसने इस सिद्धांत का विस्तार अन्य विकारों तक किया और/या इअमे नए घटक और सचेतन अभ्यासों को जोड़ा.समाधान केन्द्रित चिकित्सा और सर्वांगी प्रशिक्षण की परामर्श पद्धतियाँ विकसित हो गयीं.
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श्रीकृष्ण का अवतार सोलह कला से सम्पन्न, सर्वांगी विकास कराने वाला, सब साधकों को, भक्तों को प्रकाश मिल सके, दुर्जनों का दमन हो सके, मदोन्मत्त राजाओं का मद चूर कर सके, माली, कुब्जा, दर्जी और तमाम साधारण जीवों पर अहैतुकी कृपा बरसा सके ऐसा पूर्ण लीला अवतार था।
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राजनीती के कुछ ऐसे गडरिये हैं जो हमेशा चुनाव के समय चिल्लातें है भेडिया आया भेडिया आया और आम जनता हर बार उनकी मदद (वोट) करने पहुच जाती है पर पता चलता है की वो भेडिया उस नेता के पास (जनता के सर्वांगी विकास) उन्हें डराने अब पॉँच साल तक नही आने वाला है |
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क्या साहित्य सांप्रत जन-मानस का प्रतिबिंब नहीं? प्राचीन मानव सभ्यताओं के अभ्यास से यह ज़रुर महसुस होता है कि मानव-विकास का हर उत्तर-कांड उसके पूर्व-कांड से श्रेष्ठ हो ऐसा ज़रुरी नहीं; अर्थात् वैदिक काल की कुछ एक बातें अर्वाचीन युग को सर्वथा मार्गदर्शक हो सकती है, और उसे सर्वांगी मानव उत्थान के अभियान में प्रेरक बन सकती है ।