| 41. | विजय वर्मा की दो कविताएँ-सलीब व धोखा
|
| 42. | यहाँ तो अपना सलीब खुद ही ढोना था.
|
| 43. | वे सलीब पर मरें, ऐसा तो यहूदी चाहते थे।
|
| 44. | शाख़े-गुल आँधियों में टूटेगी सबका अपना सलीब होता है।
|
| 45. | वक़्त के सलीब पर तुम भी रहे
|
| 46. | खला मुक़द्दस है, और ख्वाब पाक़ सलीब मेरे मौला,
|
| 47. | बरपफ़ में खड़ा सलीब: शीला इन्द्र
|
| 48. | प्याला है ज़हर का तो सलीब और दार हैं. //
|
| 49. | ढो रहा है आदमी काँधे पे ख़ुद अपनी सलीब
|
| 50. | अब यह सलीब उठाई नहीं जाती.
|