एलीसिन से ही सल्फ़र के यौगिक बनते हैं जिससे तेज़ गंध आती है और जिससे साँस में भी दुर्गंध बस जाती है.
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प्याज में सल्फ़र बड़ी मात्रा में होता है और इसकी तेज़ गन्ध के पीछे, जिसे कई लोगो बदबू कहते हैं, गन्धक ही है।
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अत: सल्फ़र डाइऑक्साइड के छानने का प्रबंध रहता है और उसे ऐसे पदार्थों द्वारा पारित किया जाता है जिनमें आर्सेनिक पूर्णतया निकल जाए।
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उत्प्रेरक की क्रियाशीलता कम न हो जाए, इसके लिए आवश्यक है कि सल्फ़र डाइऑक्साइड आर्सेनिक, राख तथा धूल कणों से बिल्कुल मुक्त हो।
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अन्य सूक्ष्म मात्रिक तत्त्वों में सल्फ़र, निकल, कोबाल्ट, फ़्यूरीन, आंक्सीजन, कार्बन, हाइड्रोजन और नाइट्रोजन भी हमारे शारीरिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं।
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उत्प्रेरक की क्रियाशीलता कम न हो जाए, इसके लिए आवश्यक है कि सल्फ़र डाइऑक्साइड आर्सेनिक, राख तथा धूल कणों से बिल्कुल मुक्त हो।
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सल्फ़र डायऑक्साइड से ही तेज़ाबी वर्षा होती है और रिपोर्ट के अनुसार हवा में इसकी मात्रा सामान्य या सुरक्षित स्तर से दोगुनी है.
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अत: सल्फ़र डाइऑक्साइड के छानने का प्रबंध रहता है और उसे ऐसे पदार्थों द्वारा पारित किया जाता है जिनमें आर्सेनिक पूर्णतया निकल जाए।
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अन्य सूक्ष्म मात्रिक तत्त्वों में सल्फ़र, निकल, कोबाल्ट, फ़्यूरीन, आंक्सीजन, कार्बन, हाइड्रोजन और नाइट्रोजन भी हमारे शारीरिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं।
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इन गैसों में कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड और सल्फ़र हेक्साफ्लोराइड और तथा दो गैस-समूह हाइड्रोफ्लोरोकार्बन और परफ्लोरोकार्बन भी शामिल हैं।