इस हादसे में लगी चोट के साथ ही मुझे ट्रेन में मेरे बारे में पूछने वाले हर शख्स के शब्द किसी चोट से कम नहीं लग रहे थे, जिस वक्त में उन जंगली पुरूषों के बीच जूझ रही थी, प्लेटफॉर्म पर मौजूद एक भी महिला मेरी मदद को आगे नहीं आई, यही हाल ट्रेन में सवार पुलिस के जवानों का भी था, लेकिन ट्रेन में चढ़ते ही जाने कैसे उन्हें मुझसे इतनी हमदर्दी उमड़ आई।
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बृहस्पतिवार की सुबह शहर के एमएसके रोड पर दुकानें खुलनी शुरू हो गईं, लगा कि शहर का माहौल सुधर रहा है, लेकिन दोपहर करीब डेढ़ बजे गांधी चौक आदि कुछ स्थानों पर बाजारों में पुलिस कर्मियों ने दुकानों के बाहर बैठे व्यापारियों को लाठियों से खदेड़ना शुरू कर दिया, इस बात को लेकर व्यापारी नाराज हो गए और कोतवाली की ओर कूच करने लगे, कई व्यापारी कोतवाली के बाहर पहुंच गए, जिस पर वहां तेजी से आए तीन-चार चीता बाइक सवार पुलिस कर्मियों ने लाठियां फटकारनी शुरू कर दीं जिससे वहां भगदड़ मच गई।