पहला चित्र बजारुपन ओर सस्तापन, ओर घटियापन लिये हुये हे,जिस कि तरफ़ हम तो कया कोई शरीफ़ आदमी भी नही देखना चाहेगा, दुसरा चित्र आप अपने परिवार के साथ,अपनी मां बहिन,ओर बेटी के साथ बेठ कर देख सकते हे.बाकी जो जेसा हे उसे यह चित्र बेसे ही दिखते हे.
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लिथो छपाई का आरंभ पत्थर से छापने के रूप में हुआ और आज भी उसका महत्व कम नहीं हुआ है, परंतु फ़ोटोग्रॉफसेट को, जो छपाई का परोक्ष प्रक्रम है और जिसमें शीघ्रता, सस्तापन और यथार्थता के लिए छपाई के काम में प्रकाशयांत्रिक (photomechanical) विधियों का उपयोग होता है, त्यागा नहीं जा सकता।
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पेंटिंग से उसका इतना लगाव हो गया था कि वह जानती थी, उसके विषय में विज्ञापन में कभी इसका उल्लेख होगा (अव्वल तो वह विज्ञापन होने नहीं देगी!) तो वह उसे काट देगी: जिन चीजों से सचमुच गहरा लगाव होता है, उनका विज्ञापन करने का सस्तापन सहन नहीं होता।
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लिथो छपाई का आरंभ पत्थर से छापने के रूप में हुआ और आज भी उसका महत्व कम नहीं हुआ है, परंतु फ़ोटोग्रॉफसेट को, जो छपाई का परोक्ष प्रक्रम है और जिसमें शीघ्रता, सस्तापन और यथार्थता के लिए छपाई के काम में प्रकाशयांत्रिक (photomechanical) विधियों का उपयोग होता है, त्यागा नहीं जा सकता।