एक सच्चाई यह भी है कि उच्च शिक्षा विशिष्ट वर्ग के दायरे से निकलकर साधारण वर्ग के दायरे में आ गयी है और साधारण वर्ग में प्रोफेशनलिज् + म का जोर इतना बढ़ा है कि अब लोगों के पास समय ही नहीं बचा है कि वह इस क्षेत्र में जा करके समय गुजार सकें।
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बतौर निष्कर्ष: कविता की तीसरी धारा के कवि निःसंदेह मध्य वर्ग से आए हैं किंतु मध्यवर्गीय सीमाओं को लाँघते हुए इन्होंने न सिर्फ सर्वहारा दृष्टि विकसित की, उसके पक्ष में और उनके बीच रह कर कविताओं की रचना की, अपितु जन-जीवन के विविध रूपों से ओत-प्रोत और साधारण वर्ग में उपस्थित सौंदर्याभिरुचि निश्चित कर सांस्कृतिक राजनीतिकरण करने की ओर कदम बढ़ाए।