जीवन का पथ अनजाना है फिर लगता क्यूँ पहचाना है समझदार खुद को सब कहते समझे को क्या समझाना है काश अगर बचपन आ जाए एक बार फिर तुतलाना है क्यों रकीब अपने बन जाते घर घर का ये अफ़साना है मेल दिलों का कौन देखता हाथ मिलाते दिखलाना है कितनी दीवारें आँगन में सोचो कैसे तुड़वाना है सोच बिना जो कदम बढ़ाते आगे निश्चित पछताना है सुख दुःख तो आते जीवन में कोशिश हर पल मुस्काना है घटती रिश्तों की गरमाहट सुमन प्रीत नित सिखलाना है
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तूफान ज़िन्दगी में कभी न कभी तूफान को तो आना है तूफ़ान का आना तो एक बहाना है ज़िन्दगी को हमें सबक सिखलाना है रास्ते हमेशा आसा नहीं होतें ज़िन्दगी हमेशा महेरबा नहीं होती हां मायूसी छाती है उदासी घेर लेती है फिर दिल को समझाती हूँ की अगर ज़िन्दगी की जंग मुश्किल हुई तो क्या की अगर कदम डग-मगाए तो क्या ज़िन्दगी की असली उड़न अभी बाकि है ज़िन्दगी के कई इम्तेहान अभी बाकि है अभी तो नापी है मुट्ठी भर ज़मीन अभी तो सारा आसमान बाकि है
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मकसद एक ही ही है कायिक और संवेग सम्बन्धी, रागात्मक लक्षणों की उग्रता को कम करना, अभिव्यक्त करने काबू में रखने का हुनर सिखलाना. आई मूवमेंट,डि-सेन्सिताइज़ेशन तथा ऋ-प्रोसेसिंग (ई एम् डी आर)भी कोगनिटिव थिरेपी का ही हिस्सा हैं.मकसद घटना से जुड़े नकारात्मक पहलुओं से व्यक्ति को मुक्त करवाना.बात-चीत के दौरान माहिर व्यक्ति के सामने अपनी ऊंगली को तेज़ी से घुमाता रहता है व्यक्ति से उसी पर नजर टिकाये रखने को कहता है.कई मामलों में यह तकनीक असर-कारी पाई गई है.