कुमाँऊं और गढ़वाल अपने शांत, सुरम्य वातावरण, सीढ़ीदार खेत व निर्मल जल के संगीतमय निर्झरों के कारण-दोनों ही मेरे प्रिय स्थान रहे हैं विशेषकर कुमाँऊं में अल्मोड़ा, कौसानी और गढ़वाल में उत्तरकाशी, गोमुख तक।
42.
यहां फैली लंबी हिमालय पर्वत श्रृंखला के रेगिस् तान से लेकर देवदार के हरे भरे जंगल, सेब के बागीचों से लेकर सीढ़ीदार खेत, बर्फ से ढकी चोटियों से लेकर गिरती बर्फ और लहराती नदियां सुंदरता को बढ़ाती है।
43.
लोंगजी सीढ़ीदार खेत, लिजियान नदी, यांगशोहोऊ का पुराना कस्बा, सियांगबी पर्वत और दूस्यू चोटी, ये जगहें सिर्फ खूबसूरत ही नहीं हैं बल्कि यहां पर लोग साईकिलिंग करने, जॉगिंग करने और पर्वतारोहण करने भी आते हैं।
44.
पहाड़ों के हरे-भरे सीढ़ीदार खेत और हरियाली से घिरे बलखाती पक्की सड़क मार्ग से होते हुए, हम लोगो को कुछ मिनिटो के सफ़र के बाद शांत वातावरण में चारों से हरी-भरी पहाड़ियों से घिरे नौकुचियाताल के दर्शन हो ही जाते हैं ।
45.
की सैर पहाड़ों के हरे-भरे सीढ़ीदार खेत और हरियाली से घिरे बलखाती पक्की सड़क मार्ग से होते हुए, हम लोगो को कुछ मिनिटो के सफ़र के बाद शांत वातावरण में चारों से हरी-भरी पहाड़ियों से घिरे नौकुचियाताल के दर्शन हो ही जाते हैं ।
46.
वाकई समय भी एक दिशा है जहां आज भी दिख जाएंगे वे लकड़ी चीरते पीठ पर मिट्टी ढो मेहनत कर सीढ़ीदार खेत बनाते बुवाई करते काटते फसलें मनाते अपने उत्सव-त्यौहार और साथ ही धार लगाते अपनी तलवारों को भी किन्हीं अमूर्त दुश्मनों के खिलाफ
47.
इस के अलावा इस कवि के सपनो मे बहुत कुछ आता है-काफल, आड़ू, सेब, खुमानी, रस्सों के पुल, सीढ़ीदार खेत, और स्कूल जाते बच्चों के बीच कभी अचानक मुक्तिबोध दिखाई दे जाते है-तेंदु पत्तों के गोदाम के बाहर सीढ़ियों पर बीड़ी पीते हुए!
48.
इस के अलावा इस कवि के सपनो मे बहुत कुछ आता है-काफल, आड़ू, सेब, खुमानी, रस्सों के पुल, सीढ़ीदार खेत, और स्कूल जाते बच्चों के बीच कभी अचानक मुक्तिबोध दिखाई दे जाते है-तेंदु पत्तों के गोदाम के बाहर सीढ़ियों पर बीड़ी पीते हुए!
49.
गधे, कुत्ते, शेर, सियार जैसे जानवर उनकी कविताओं के विषयहैं तो उनके सपनों में आडू, सेब, काफल औरखुमानी के पेड़ हैं, पेड़ों के नीचे सुस्ताती गायें हैं, सीढ़ीदार खेत हैं, रस्सियोंवाले पुल और उनसे गुजरते हुए बच्चे हैं और ऎसी ही तमाम मामूली चीजें जिन्हें बचाले जाना आज पूरी मानवता को बचा ले जाने का पर्याय है.
50.
गधे, कुत्ते, शेर, सियार जैसे जानवर उनकी कविताओं के विषय हैं तो उनके सपनों में आडू, सेब, काफल और खुमानी के पेड़ हैं, पेड़ों के नीचे सुस्ताती गायें हैं, सीढ़ीदार खेत हैं, रस्सियों वाले पुल और उनसे गुजरते हुए बच्चे हैं और ऎसी ही तमाम मामूली चीजें जिन्हें बचा ले जाना आज पूरी मानवता को बचा ले जाने का पर्याय है.