(अब भला ऐसा तगडा साहित्यिक जूता पडने के बाद किसकी हिम्मत है जो दीवारों पर थूके)“दरवाजे के बीच में खडे होकर फ़ालतू बातें नहीं करें, यह जगह बिजनेस के लिये है, कोई गप्पें मारने की जगह नहीं” (है कोई बेशर्म, जो वहाँ खडे़ होने की भी सोचे, बातें करना तो दूर)यह एक लकडी की सीढी का चित्र है, लिखा है “कृपया पैर पटक-पटक नहीं चढें”
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जो दल राम को सत्ता की सीढी का माध्यम मानता हो और उसका प्रधानमंत्री विश्व हिन्दू परिषद के लोगों से कहें कि कब तब राम मन्दिर को घसीटोगे या उसकी एक वरिष्ठ नेत्री कहें कि राम मन्दिर मुद्दा एक बार कैश हो चुका है और एक चेक दो बार कैश नहीं होता उस दल की धर्म, संस्कृति और भारत की चेतना के साथ जुडाव को अनुभव किया जा सकता है।
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नेता वादो की सीढी सेइतनी उपर चड जाते हैतो फिर आम नागरिक भला केसे दिखाई दे 11धनी विज्ञापन की सीढी सेऔर अधिक धनवान बन जाते हैतो फिर महगाई का अर्थ क्या जाने 11चाटुकार व रिशवतखोर की सीढीतो मेहनत का अस्तित्व ही मिटा देती है 11खूबसूरती की सीढी का तो कहना ही बिना किसी कोशिश के हर चाहत सिर झुकाए खडी होती है 11यह सीढी सही व गलत को नही देखतीनेतिकता इस सीढी से दूर भागती है 11
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इस प्रकार अपीलार्थी द्वारा अपने साक्ष्य में स्वीकार किया गया कि खेत नम्बर 1895 में उसका कोई हक नहीं है जब कि कमिश्नर द्वारा अपनी आख्या में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि प्रतिवादीगण द्वारा खेत नम्बर 1895 मध्ये 7 ग 9 फीट त्र 63 व. फी. में अपने भवन में जाने हेतु सीढी का निर्माण किया गया है तथा कमिश्नर की उपरोक्त रिपोर्ट साक्ष्य के दिन पुष्ट की गयी है और पी0डब्ल्यू0-3 श्री राजेन्द्र सिंह डोबाल द्वारा उक्त रिपोर्ट को साक्ष्य में सिद्व किया गया है।
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ईश्वर एक है, परन्तु उनके नाम और भाव अनंत है | जो जिस नाम और भाव से उनकी आराधना करता है, उसे वे उसी नाम और उसी भाव से दर्शन देते है | कोई किसी भी भाव, किसी भी नाम या किसी भी रूप से उस ईश्वर की उपासना या साधना भजन करता है उसे निश्चय ही ईश्वर का साथ होता है | जिस प्रकार छत पर जाने के लिए सीढी का प्रयोग होता है ठीक उसी प्रकार ईश्वर को समझने के लिए धर्म का प्रयोग होता है \