परन्तु इस आदेश के पश्चात भी हिन्दुस्तार के वीरे सिपाहियों में रोष्ज्ञ रहा उन्हे विश्वास था कि नये कारतूसों में अवश्य ही गाय और सुअर की चर्बी का उपयोग किया जा रहा है इस प्रकार फौज के बड़े वर्ग में बगावत फैल गई।
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परन्तु इस आदेश के पश्चात भी हिन्दुस्तार के वीरे सिपाहियों में रोष्ज्ञ रहा उन्हे विश्वास था कि नये कारतूसों में अवश्य ही गाय और सुअर की चर्बी का उपयोग किया जा रहा है इस प्रकार फौज के बड़े वर्ग में बगावत फैल गई।
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इस पर मातादीन ने फटकारते हुए कहा कि लोटा छूने से तुम धर्मभ्रष्ट हो जाते हो, पर जब उन कारतूसों को दांतों से पकड़कर खोलते हो, तो भ्रष्ट नहीं होते, जिनके मुंह पर गाय और सुअर की चर्बी लगी होती है।
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बहुत चिन्तित होना धमाका करना / होना प्रस्थान करना आवर्धित करना नाटक के रूप में परिवर्तित करना गद्दी कढ़ाई करना आगबबूला हो जाना अवमूल्यन करना झोंका विस्फोटित होना सदमा पहुँचना सजाना क्रोध करना आग बबूला जाना विस्तार करना नाटकीय बनाना बढ़ाना{खासकर आवाज़} फुलना सुअर की चर्बी फुलाना
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बात बढ़ने पर भंगी जात का सिपाही तैश में कहता है कि गाय और सुअर की चर्बी से निर्मित बन्दूक की गोली का खोका मुंह से तोड़ते हुए तुम्हारा धर्म भ्रष्ट नहीं होता और अपने सह-धर्मी से छुए लोटे का पानी भ्रष्ट करता है? बात सच थी।
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तब सही समय पर और सही मर्म पर साधु ने चोट की, और कहा कि अंग्रेज लोग तुम्हें जो कारतूस देते हैं उनमें गाय और सुअर की चर्बी लगी होती है, जिन्हें तुम मुंह से खोलते हो? तब तुम्हारा धर्म भ्रष्टï नही होता? साधु की बात बन गयी।
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' 29 यहां यह तथ्य उल्लेखनीय है कि यूं तो विधिवत् इस तथ्य की कभी पुष्टि नहीं हुई कि ग्रीज में गाय और सुअर की चर्बी का इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन परिस्थितिगत साक्ष्यों को दृष्टिगत रखते हुए गवर्नर जनरल लार्ड कैनिंग ने यह स्वीकार किया था कि ग्रीज की समस्या का ठोस आधार है।
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' 27 यह भी अजब संयोग है कि जिस बैरकपुर छावनी में जाति भ्रष्ट होने के सवाल पर इतनी बड़ी संख्या में सैनिकों को मारा और फांसी चढ़ाया गया था, वहीं 1857 के शुरुआती दिनों में यह अफवाह फैली कि अब सेना में ऐसे कारतूस बांटे जा रहे हैं, जिन पर गाय और सुअर की चर्बी मढ़ी है।
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इस प्रकार चारों दिशाओं में ब्रिटिश शासन के खिलाफ असंतोष और बगावत की भावना फैल गई, जो मेरठ में सिपाहियों के द्वारा किए गए इस बगावत के स्वर में सुनाई दी जब उन्हें ऐसी कारतूस मुंह से खोलने के लिए कहा गया जिन पर गाय और सुअर की चर्बी लगी हुई थी, इससे उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुईं।
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इस प्रकार चारों दिशाओं में ब्रिटिश शासन के खिलाफ असंतोष और बगावत की भावना फैल गई, जो मेरठ में सिपाहियों के द्वारा किए गए इस बगावत के स्वर में सुनाई दी जब उन्हें ऐसी कारतूस मुंह से खोलने के लिए कहा गया जिन पर गाय और सुअर की चर्बी लगी हुई थी, इससे उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुईं।