प्रत्येक मतदान केन्द्र पर संबंधित ग्राम और ग्राम पंचायत 5-6 सूचना स्रोत जिनके पास मोबाइल फ ोन सुविधा हो, को बनाने और उनसे जीवंत सम्पर्क बनाये रखने के निर्देश दिये।
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वर्ष 1989 से 2001 तक लोकप्रिय विज्ञान पत्रिका ‘विज्ञान प्रगति ' की सम्पादक तथा वर्तमान में राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं सूचना स्रोत संस्थान, नई दिल्ली में वैज्ञानिक ‘ई-2' के पद पर कार्यरत. प्रतिभायें लेखन सम्पादन वैज्ञानिक
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इस पोर्टेल के माध् यम से भारत तथा इसके विभिन् न पहलुओं के संबंध में व् यापक, यथार्थ, विश् वसनीय तथा एक स् थल सूचना स्रोत उपलब् ध कराने का प्रयास किया गया है।
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राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं सूचना स्रोत संस्थान तथा राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद भारत सरकार 1989 से हर कुंभ एवं अर्धकुंभ मेलों में आम नागरिक में वैज्ञानिक समझ एवं चेतना पर सर्वेक्षण करते रहे हैं।
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इस पाठयक्रम में सूचना, संप्रेषण और समाज, सूचना स्रोत, प्रणाली और कार्यक्रम, सूचना संसाधन एवं सूचना केंद्र, सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल, पुस्तकालय वर्गीकरण सिध्दांत एवं पध्दति विषय पढ़ाए जाते हैं।
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इस प्रकार, शैशन और वीवर द्वारा प्रतिपादित संचार के गणितीय प्रारूप में मुख्यत: छह तत्वों-सूचना स्रोत, सूचना प्रेषक, संचार मार्ग, शोर, प्रापक व गन्तव्य स्थल का उल्लेख किया गया है।
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का कार्यक्रम है जो सवास्थ्य, समुदाय में संलिप्तता बढ़ाने और जीवन स्तर में सुधार के लिए लकवा के साथ जीने वाले लोगों तथा उन्हें सेवा प्रदान करने वालों का समग्र एवं राष्ट्रीय सूचना स्रोत प्रदान करता है।
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भारत सहित सभी देश सर्वथा गोपनीय मानी जाने वाली सूचना स्रोत की इस प्रणाली में विश् वास रखते हैं और जिन-जिन देशों में जरूरत होती है उन उन देशों में अपने जासूसों को तैनात करते हैं।
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वर्ष 1989 से 2001 तक लोकप्रिय विज्ञान पत्रिका ‘विज्ञान प्रगति ' की सम्पादक तथा वर्तमान में राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं सूचना स्रोत संस्थान, नई दिल्ली में वैज्ञानिक ‘ई-2' के पद पर कार्यरत तथा हिन्दी के प्रसिद्ध ‘वैज्ञानिक विश्वकोश-भारत की सम्पदा' की सम्पादक।
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संभव इस तरह की एक “बाहर अनुच्छेद खेलने का मैदान के स्तर! विश्वास है मतलब है” के रूप में एक सूचना स्रोत है जो सबसे अधिक है, ताकि पाठकों को सटीक जानकारी और निष्पक्ष सकते हैं गिनती पर हो रही है और उपयोगी.