कृषि विभाग की आत्मा स्कीम के तहत ललीतखेड़ा गांव में चल रही प्रदेश की एकमात्र महिला पाठशाला की निगरानी व पर्यवेक्षण के लिए शनिवार को कृषि मंत्रालय से अवर सचिव आर. एस. वर्मा तथा कृषि विस्तार प्रबंधन राष्ट्रीय संस्थान हैदराबाद की उप निदेशक डा. लक्ष्मी मूर्ति ललीतखेड़ा पहुंची।
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मेरे विचार से अवर न्यायालय ने अभियुक्त के विरूद्ध उपलब्ध साक्ष्य के बारे में कुछ और प्रश्न पूछा जाना न्यायसंग समझा है तो ऐसा करने में विद्वान मजिस्टैªट ने कोई त्रुटि नहीं की है, अतः अवर न्यायालय के आदेश में किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है और निगरानी खण्डित किये जाने योग्य है।
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खेल एवं युवा कल्याण विभाग के अधिकारियों ने आज यहां बताया कि निर्धारित प्रारूप में पूर्ण रूप से भरे हुए आवेदन पत्र आगामी 31 मई तक राष्ट्रीय ओलम्पिक संघ / सचिव खेल एवं युवा कल्याण विभाग/ राष्ट्रीय खेल फेडरेशन, सचिव स्पोर्टस कन्ट्रोल बोर्ड के माध्यम से अवर सचिव युवा कार्य एवं खेल मंत्रालय रूम नंबर 518 सी.
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स् व. चौधरी का पार्थिव शरीर सुबह दस बजे विधान सभा परिसर लाया गया जहां विधान सभा अध्यक्ष की ओर से प्रभारी सचिव फूल झा, संसदीय कार्य विभाग की ओर से अवर सचिव वीरेन्द्र कुमार, कांग्रेस विधायक दल के नेता सदानंद सिंह, विधान पार्षद बैद्यनाथ प्रसाद सहित सभा के पदाधिकारियों तथा कर्मचारियों ने माल्यार्पण कर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
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सक्षेंप में तथ्य इस प्रकार है कि थाना कोतवाली नगर हरिद्वार में मुकदमा अपराध संख्या 55 / 2010 अन्तर्गत धारा 279,304ए, 427 भारतीय दण्ड संहिता में प्रार्थी/निगरानीकर्ता का उक्त वाहन निरूद्ध किया गया, जिसको रिलीज कराने हेतु प्रार्थना-पत्र निगरानीकर्ता की ओर से अवर न्यायालय में प्रस्तुत किया गया और जो अवर न्यायालय द्वारा स्वीकार किया गया तथा यह आदेश पारित किया गया कि प्रार्थी/निगरानीकर्ता है।
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मूल पत्रावली फौजदारी वाद संख्या-1521 / 2010 सरकार बनाम अरविन्द के अवलोकन से स्पष्ट है कि अभियुक्त की ओर से अवर न्यायालय के समक्ष 10ख/1 प्रार्थना पत्र अन्तर्गत धारा-311 दं0प्र0संहिता इस आधार पर प्रस्तुत किया था कि अभियोजन पक्ष द्वारा पी0डब्लू0-1 कुलभूषण जैन व पी0डब्लू0-2 कुलदीप सिंह का बयान अंकित कराया गया है, गवाहान से कुछ अति महत्वपूर्ण तथ्यों पर जिरह किया जाना छूट गया है, न्याय हित में इन गवाहान को पुनः जिर हेतु उचित है।
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निगरानीकर्तागण द्वारा अवर न्यायालय के समक्ष अपना जबाबदाबा निर्धारित अवधि दिनांक 14-3-2008 से में पेश न कर पाने के उपरांत हुये विलम्ब का उचित एवं पर्याप्त कारण अपने प्रार्थना पत्र एवं शपथ पत्र में उल्लिखित किया गया एवं अपने कथन के समर्थन में चिकित्सा प्रमाण पत्र मूल रूप से अवर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किये गये हैं, लेकिन अवर न्यायालय द्वारा निगरानीकर्तागण के कथन एवं साक्ष्य का विधि अनुसार विश्लेषण न कर कानूनी त्रुटि की है।
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बैठक में मुख्य रूप से अवर पुलिस निरीक्षक अरुण कुमार सिंह, पोलीकार कुजूर, ललन सिंह, विनोद कुमार, पंसस राजीव रंजन, कृष्णा सिंह, चंदर साव, अशोक महतो, केदार महतो, लीलावती देवी, शेख अब्दुल्लाह, मो आसिन, मो शमशेर, मो अताउल्लाह, बिसुन रजक, संतोष साव, कृष्णा साव, सहेश कुमार, जगदेव महतो, सोहन लाल मेहता, देव प्रसाद, नरेश सिंह, मो जाफर, कृष्णबल्लभ पाठक, किशोर राणा, उमेश कुमार यादव, लालमनी महतो, अचेश्वर राम, देवनाथ महतो के अलावा कई सामाजिक लोग उपस्थित थे।
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मूल पत्रावली फौजदारी वाद संख्या-1522 / 2010 सरकार बनाम अरविन्द के अवलोकन से स्पष्ट है कि अभियुक्त की ओर से अवर न्यायालय के समक्ष 6ख/5 प्रार्थना पत्र अन्तर्गत धारा-311 दं0प्र0संहिता इस आधार पर प्रस्तुत किया था कि अभियोजन पक्ष द्वारा पी0डब्लू0-1 प्रशान्त खण्डेलवाल, पी0डब्लू0-2 मनोज शर्मा व पी0डब्लू0-3 देवीदत्त पाण्डे का बयान अंकित कराया गया है, गवाहान से कुछ अति महत्वपूर्ण तथ्यों पर जिरह किया जाना छूट गया है, न्याय हित में इन गवाहान को पुनः जिर हेतु उचित है।
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प्रतिवादी की ओर से अवर न्यायालय के समक्ष एक नजीर आर0डी0 1994 पेज-476 टी0बी0 सिंह बनाम नवम ए0डी0जे0 जौनपुर पेश की गयी, जिसे अवर न्यायालय द्वारा अपने निर्णय में उद्धरत किया है, जिसमें माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा यह अभिमत निर्धारित किया गया कि धारा-331 व 229बी जमींदारी विनाश एवं भूमि सुधार अधिनियम में राजस्व न्यायालय का क्षेत्राधिकार है और यदि वादीगण भूमिधर नहीं है और घोषणा के लिए अनुतोष चाहा गया है, तो गांव सभा आवश्यक पक्षकार होती है।