स्टोइक भौतिक अद्वैतवादी होने के नाते जगत् तथा ईश्वर दोनों को परस्पर संबद्ध रखने के लिए उन्हें भी किसी मध्यस्थ की कल्पना करनी थी।
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अथवा, “ऐसे कर्म करो कि तुम्हारे कर्म विश्व के लिए नियम बन सकें, तब हमें स्टोइक जीवनदर्शन के व्यापक प्रभाव का भान होता है।
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स्टोइक भौतिक अद्वैतवादी होने के नाते जगत् तथा ईश्वर दोनों को परस्पर संबद्ध रखने के लिए उन्हें भी किसी मध्यस्थ की कल्पना करनी थी।
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अथवा, “ऐसे कर्म करो कि तुम्हारे कर्म विश्व के लिए नियम बन सकें, तब हमें स्टोइक जीवनदर्शन के व्यापक प्रभाव का भान होता है।
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ईसा पूर्व लगभग 300 में जेनो ऑफ सिरियम ने ग्रीस में ‘ स्टोइक ' सम्प्रदाय की स्थापना की थी जो एक दार्शनिक सम्प्रदाय था।
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ग्रीक स्टोइक दर्शन ने लोगोस स्पर्मैटिकोज को (“वीर्य संबंधी शब्द”) जो कि निष्क्रिय उत्पादित द्रव्य है, सक्रिय कारण के सिद्धांत के रूप में देखा है.
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ग्रीक स्टोइक दर्शन ने लोगोस स्पर्मैटिकोज को (“वीर्य संबंधी शब्द”) जो कि निष्क्रिय उत्पादित द्रव्य है, सक्रिय कारण के सिद्धांत के रूप में देखा है.
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तभी ज़ीनो ने रंगबिरंगे मंडप (स्टोआ) में स्टोइक दर्शन की शिक्षा द्वारा, अंधविश्वासों को मिटाते हुए, अपने समाज को नैतिक जीवन का मूल्य बताना प्रारंभ किया।
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तभी ज़ीनो ने रंगबिरंगे मंडप (स्टोआ) में स्टोइक दर्शन की शिक्षा द्वारा, अंधविश्वासों को मिटाते हुए, अपने समाज को नैतिक जीवन का मूल्य बताना प्रारंभ किया।
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सुखवाद का समर्थन किया था तथापि मूलत: उन्होंने व्यक्ति के हित के माध्यम से समाज के हित की उपलब्धि के स्टोइक नियम का ही आश्रय लिया था।