इस पाठ्य देने वाली पाईपलाईन में शामिल है अक्षर पहचान, अक्षरो को प्रसंग के अनुसार क्रम परिवर्तन करना, ग्लिफों की मैपिंग तथा स्थिति परिवर्तन करना, और ग्लिफों को स्क्रीन व पेज पर मुद्रित करना, क्योंकि लिनक्स के मूलभूत अंग (
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विदेशी छात्र के रूप में अपनी स्थिति पर निर्भर होगा॰ इसका मतलब यह है कि यदि आप अपनी स्थिति को बदलने, अपने परिवार,और उनकी स्थिति परिवर्तन होगा यदि आप अपनी हैसियत खो,अपने परिवार को भी उनकी स्थिति खो देंगे है॰
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मई माह लगते ही मौसम में असमानता का प्रभाव प्रारंभ हुआ है वैसे भी भौगोलिक मौसम पर अंतरिक्ष के ग्रहों व नक्षत्रों का अपना विशिष्ट प्रभाव रहता ही है मौसम परिवर्तन का मूल कारण ग्रहों व नक्षत्रों की स्थिति परिवर्तन ही है।
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आम जनमानस राष्ट्रहित और स्वहित को ध्यान मे रखते हुए आंदोलनों मे भाग लेता है, यही कारण था कि स्वतंत्रता के बाद हुए सभी बडे आंदोलनों मे उसने सक्रियता से भाग लिया और स्थिति परिवर्तन हेतु अपना पूर्ण समर्थन दिया.
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इस पाठ्य देने वाली पाईपलाईन में शामिल है अक्षर पहचान, अक्षरो को प्रसंग के अनुसार क्रम परिवर्तन करना, ग्लिफों की मैपिंग तथा स्थिति परिवर्तन करना, और ग्लिफों को स्क्रीन व पेज पर मुद्रित करना, क्योंकि लिनक्स के मूलभूत अंग (X विंडो प्रणाली) में परिवर्तन किये गए हैं
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प्रतिपिंड (एंटीबॉडी) की बड़ी और विविध जनसंख्या जीन खण्डों के क्रमरहित संयोजनों से बनती है जो विभिन्न प्रतिजन (एंटीजन) को जोड़ने वाली साइटों (या पैराटोप (paratopes)) को कूटबद्ध करती है, जिसके बाद प्रतिपिंड (एंटीबॉडी) जीन के इस क्षेत्र में क्रमरहित स्थिति परिवर्तन (mutations) होते हैं, जो विविधता को और अधिक बढ़ाते हैं.
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इस प्राण ऊर्जा की प्रकृति, तीव्रता, सघनता एवं विभव आदि ब्रह्माण्डीय पर्यावरण के अनुसार परिवर्तित होती रहती है तथा ब्रह्माण्डीय पर्यावरण सूर्य, चन्द्र, बृहस्पति आदि ग्रहों एवं तारा समूहों से उत्सर्जित ऊर्जा से बनता है तथा यह पर्यावरण विभिन्न ग्रहों एवं नक्षत्रों की स्थिति परिवर्तन के अनुसार परिवर्तित होता रहता है।
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मन से सम्बन्धित लक्षण:-रोगी अत्यन्त संवेदनशील होता है, उसका मन उदास होता है और अधिक दु: ख महसूस करता है और मन को जब दूसरी ओर लगाता है तो दु: ख कुछ समय के लिए कम हो जाता है, रोगी को स्थिति परिवर्तन करने की बेचैन इच्छा होती है।
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उसने ऎसा समय (मुहूर्त) साध लिया था, जिस समय पर किसी का जन्म होगा तो वह अजेय और अत्यंत दीर्घायु से सम्पन्न होगा लेकिन जब मेघनाथ का जन्म हुआ, ठीक उसी समय शनि ने अपनी स्थिति में परिवर्तन कर लिया, जिस स्थिति में शनि के होने पर रावण अपने पुत्र की दीर्घायु समझ रहा था, स्थिति परिवर्तन से वह पुत्र अब अल्पायु हो गया।
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हिन्दू धर्म ने दलित वर्ग को पशुओं से भी बदतर स्थिति में पहुँचा दिया है, यही कारण है कि वह अपनी स्थिति परिवर्तन के लिए पूरी तरह कोशिश नहीं कर पा रहा है, हां, पशुओं की तरह ही वह अच्छे चारे की खोज में तो लगा है लेकिन अपनी मानसिक गुलामी दूर करने के अपने महान उद्देश्य को गम्भीरता से नहीं ले रहा है।