कालचक्र: सभ्यता की कहानी भौतिक जगत और मानव मानव का आदि देश सभ्यता की प्रथम किरणें एवं दंतकथाऍं अवतारों की कथा स्मृतिकार और समाज रचना
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बंगाल के नव्य स्मृतिकार ‘ दायभाग ' निबंधसंग्रह के लेखक का नाम जीमूतवाहन है जिनकी व्यवस्था संपूर्ण बंगाल एवं उसके समीपवर्ती क्षेत्रों में मान्य है।
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स्मृतिकार देवल का कहना है-“ शिखा एवं यज्ञोपवीत से हीन व्यक्ति, जो भी धार्मिक अनुष्ठान करता है, वह सब व्यर्थ होता है।
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कुछ स्मृतियों के प्रणेता हैं प्रमुख स्मृतिकार ; किन्तु वृद्ध, बृहत् एवं लघु की उपाधियों के साथ, यथा वृद्ध-याज्ञवल्क्य, वृद्ध-गार्ग्य, वृद्ध-मनु, वृद्ध-वसिष्ठ, बृहत्-पराशर आदि।
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उस समय के अन्य महत्त्वपूर्ण स्मृतिकार थे-नारद, पराशर, बृहस्पति, कात्यायन, गौतम, संवर्त, हरीत, अंगिरा आदि, जिनका समय सम्भवतः 100 ई. से लेकर 600 ई.
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हमारे प्राचीन स्मृतिकार तथा धर्मसूत्रों के प्रणेता समाज-व्यवस्था और व्यक्ति-जीवन की चर्या के बारे में कुछ विचार रखते थे, आज वे विचार अपने मूल रूप में ग्रहण नहीं किये जा सकते।
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हमारे प्राचीन स्मृतिकार तथा धर्मसूत्रों के प्रणेता समाज-व्यवस्था और व्यक्ति-जीवन की चर्या के बारे में कुछ विचार रखते थे, आज वे विचार अपने मूल रूप में ग्रहण नहीं किये जा सकते।
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मनुस्मृति में शूद्रों के बारे में जो भी कहा गया हो, दसवीं सदी के बाद के स्मृतिकार और निबंधकार व्यापार और राजसत्ता की वास्तविक जरूरतों के मुताबिक व्यवस्थाएं दे रहे थे।
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हमारे प्राचीन स्मृतिकार तथा धर्मसूत्रों के प्रणेता समाज-व्यवस्था और व्यक्ति-जीवन की चर्या के बारे में कुछ विचार रखते थे, आज वे विचार अपने मूल रूप में ग्रहण नहीं किये जा सकते।
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उस समय के अन्य महत्त्वपूर्ण स्मृतिकार थे-नारद, पराशर, बृहस्पति, कात्यायन, गौतम, संवर्त, हरीत, अंगिरा आदि, जिनका समय सम्भवतः 100 ई. से लेकर 600 ई.